Rajnandgaon Patal Bhairavi Temple : छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी का पाताल भैरवी मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है। माता का ये मंदिर 28 साल पहले बनकर तैयार हुआ। तब से लेकर आज तक इस मंदिर की ख्याति बढ़ती ही गई। सावन और नवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। यहां होने वाले अनुष्ठानों में लाखों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
मंदिर का इतिहास
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मंदिर का निर्माण 1998 में हुआ था। मां पाताल भैरवी मंदिर तीन मंजिल में बना हुआ है। नीचे जिसे पाताल कहा जाता है वहां पर मां पाताल भैरवी, दूसरी मंजिल पर त्रिपुर सुंदरी का तीर्थ, जिसे नवदुर्गा भी कहा जाता है। तीसरी मंजिल पर भगवान शिव की प्रतिमा और देशभर में स्थापित 12 ज्योर्तिलिंग के प्रतिरूप प्रतिष्ठापित हैं।
औषधि खीर का वितरण
मां पाताल भैरवी मंदिर में पूरे वर्ष दर्शन करने के लिए भक्त आते हैं। नवरात्र में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है। शरद पूर्णिमा के दिन औषधि युक्त खीर बनाई जाती है। जड़ी-बूटी के मिश्रण से बनी खीर से दमा, अस्थमा और श्वास से जुड़ी बीमारियों में लाभ होता है। खीर का सेवन करने रात आठ बजे से भीड़ जुट जाती है।
आधी रात बाद खीर का प्रसाद वितरित किया जाता है। मां पाताल भैरवी मंदिर के सचिव गणेश प्रसाद शर्मा ने कहा, नवरात्र में माता रानी की विशेष आराधना होती है। हर वर्ष बड़ी संख्या में भक्त मां पाताल भैरवी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। पंचमी, अष्टमी और माता का विशेष श्रृंगार के साथ पूजा-अर्चना संपन्न होती है।
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