HC ने पकड़ा था घोस्ट ट्रक से शराब तस्करी का मामला, अब सहायक आबकारी आयुक्त सस्पेंड

इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव एस. कलगांवकर की बेंच के समक्ष शराब तस्करी की यह असामान्य परतें खुलीं। अदालत ने स्पष्ट रूप से आबकारी विभाग और तस्करों के गठजोड़ पर सवाल उठाए थे।

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Rohit Sahu
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मध्यप्रदेश के धार जिले में शराब तस्करी को अस्थायी परमिट की आड़ में वैध ठहराने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों पर अब शिकंजा कसने लगा है। पूरे मामले में एक के बाद एक तीन अधिकारियों को निलंबन झेलना पड़ा है। सबसे ताजा कार्रवाई में धार के तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त विक्रमदीप सिंह सांगर को निलंबित कर दिया गया है। वर्तमान में वे उज्जैन में पदस्थ थे। इसके पहले सहायक आबकारी अधिकारी आनंद डंडीर और उपनिरीक्षक राजेंद्र सिंह चौहान को भी सस्पेंड किए जा चुके हैं।

हाई कोर्ट की सख्ती के बाद बनी SIT

इस पूरे मामले में जब इंदौर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया, तब डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) के आदेश पर तीन सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की गई है। यह टीम सीधे हाई कोर्ट की निगरानी में काम करेगी। SIT की कमान इंदौर ग्रामीण के डीआईजी निमिष अग्रवाल को सौंपी गई है। इनके साथ आलीराजपुर एसपी राजेश व्यास और जोबट एडीओपी नीरज नामदेव को टीम में शामिल किया गया है। 

जान लिजिए पूरा मामला

आलीराजपुर के जोबट थाना क्षेत्र में 24 अक्टूबर 2024 को पुलिस ने दो वाहनों से अवैध शराब पकड़ी। पुलिस कंटेनर और ट्रक से कुल 14 हजार 760 लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की गई। इसके साथ ही दोनों वाहनों के ड्राइवरों को गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया। फिर दोनों ने पहले जिला कोर्ट और बाद में  हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई तब इस मामले में कई खुलासे हुए।

कोर्ट ने जमानत याचिकाएं खारिज की

दोनों ट्रक ड्राइवरों, शांतिलाल उर्फ सुनील और गजेंद्र ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में जमानत याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान पता चला कि शराब का परिवहन बिना वैध परमिट के किया गया था और जो अस्थायी परमिट पेश किया गया था, वह घटना के दो महीने बाद बनाया गया था। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को संदिग्ध माना और ड्राइवरों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी।

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इस वजह से कोर्ट को हुआ था शक

आबकारी विभाग ने बताया कि एक वाहन खराब हो गया था, इसलिए शराब को दूसरे वाहन में भर दिया था। इसके बाद अस्थाई परमिट के आधार पर जब्त वाहन और शराब को छोड़ दिया गया। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस मामले में आश्चर्य जताया है कि कैसे डेढ़ घंटे के भीतर वाहन खराब हुआ, वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया गया, अस्थायी परमिट बनाया गया, दूसरा वाहन आया और शराब को उसमें भर भी दिया गया।

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आबकारी अधिकारी पर उठे थे सवाल

जांच की प्रक्रिया में यह सामने आया कि आबकारी उपनिरीक्षक राजेंद्र सिंह चौहान 24 अक्टूबर 2024 की रात 8:30 बजे शराब लेकर जा रहे वाहन खराब होने की सूचना मिली थी और 10:10 बजे शराब दूसरे वाहन से रवाना कर दी गई। कोर्ट ने पूछा कि क्या इतनी जल्दी पूरी प्रशासनिक कार्रवाई संभव है? इस पर चौहान कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए।

21 अप्रैल 2025 को ट्रक ड्राइवर गजेंद्र की दूसरी जमानत याचिका पर सुनवाई में हाईकोर्ट को बताया कि आलीराजपुर के ADM ने 29 जनवरी 2025 को आदेश दिया था कि अस्थायी परमिट पेश होने के कारण जब्त शराब और वाहन छोड़े जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने पाया कि घटना के बारे में यह छिपाया गया कि परमिट घटना के दो महीने बाद जारी हुआ था और उसमें दर्ज बैच नंबर भी जब्त शराब से मेल नहीं खाते थे। जिला कोर्ट को गुमराह किया गया। अब इस मामले में SIT गठित कर दी गई है। वहीं कुल तीन अफसर अबतक सस्पेंड हो चुके हैं।

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