Indore, Sanjay Gupta. इंदौर में बीजेपी के युवा मोर्चा के पदाधिकारियों के बीच छिड़ी जंग में विधायक मालिनी गौड़ के भतीजे और युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री शुभेंद्र गौड़ को पद से हटा दिया गया है। लेकिन इस लड़ाई और इसके बाद हुई शिकायत और फिर हुई कार्रवाई के बाद राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा चल पड़ी है कि वास्तव में शुभेंद्र पर निशाना है या फिर विधानसभा इंदौर चार की विधायक मालिनी गौड़ की सीट को लेकर यह सब हो रहा है। केवल शुभेंद्र ही नहीं, इसके पहले विधायक के पुत्र एकलव्य को लेकर मार्च में लगातार एक के बाद एक बड़ी शिकायतें हुई और वीडियो भी जारी हुए और अब एकलव्य शांत है तो निशाने पर शुभेंद्र आ गए।
कई नेताओं की सीट पर नजर, पहले कटा एकलव्य का पत्ता
साल 1993 में लक्ष्मणसिंह गौड़ के विजयी होने के साथ ही गौड़ परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा है। उनके निधन के बाद से साल 2008 से मालिनी गौड़ विधायक है। स्वास्थ्य कारणों से गौड़ ने बीच में पूरा काम एकलव्य को सौंप दिया और खुद घर में बंद हो गई, उनके घर पर ही शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया तक मिलने गए। उनके खेमे से मांग उठी कि एकलव्य को टिकट मिल जाए। इसी दौरान एकलव्य गौड़ की मार्च में पहले हेमू कालानी मंडल अध्यक्ष सचिन जैसवानी ने गंभीर शिकायत करते हुए वीडियो वायरल किया कि उन्हें जान का खतरा है और एक मकान बेचने के लिए गौड़ ने पैसे मांगे, इसके बाद सिख यूथ के सन्नी टूटेजा ने आरोप लगाए कि एकलव्य के समर्थकों ने कट्टा अड़ाया और चाकू दिखाया।
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एकलव्य की मुश्किल देख सक्रिय हो गई मालिनी
इसके बाद तय हो गया कि एकलव्य को पार्टी स्वीकार नहीं करेगी, जिसके बाद मालिनी ने फिर मैदान संभाला और पार्टी संगठन से लेकर सरकार तक के सभी आयोजनों में वह मौजूद रहती हैं। श्री बेलेशवर महादेव मंदिर मामले में तो वह सीएम के पास भी मंदिर समिति के लोगों को मिलवाने ले गई। यानि मालिनी ने पूरा मोर्चा वापस संभाल लिया और संदेश दे दिया कि इंदौर की अयोध्या में किसी और का प्रवेश नहीं होने देंगी।
मिश्रा क्यों बच गए कार्रवाई से, किसकी है नजर
युवा मोर्चा के नगराध्यक्ष सौगात मिश्रा पर शुभेंद्र गौड़ ने अनर्गल टिप्पणी करने सहित कई आरोप अपने जवाब में दिए हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वह बीजेपी के वरिष्ठ नेता मधु वर्मा और सांसद शंकर लालवानी के करीबी बताए जाते हैं। लालवानी लंबे समय से विधानसभा चार के लिए दावेदारी कर रहे हैं और यह क्षेत्र सिंधी बाहुल्य होने के चलते हमेशा ही उनकी प्राथमिकता में रहता है। इसके साथ ही बीजेपी का हर छोटा-बड़ा नेता यहां से ही टिकट चाहता है, क्योंकि यह बीजेपी का गढ़ है और गौड़ परिवार को भी लंबा समय हो गया है, उनसे टिकट कटा तो किसी दूसरे की झोली में आएगा। उधर विधानसभा दो भी बीजेपी का गढ़ है लेकिन कैलाश विजयवर्गीय औऱ् रमेश मेंदोला के चलते कोई उधर नजर डालने की सोचता ही नहीं है। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में बीजेपी में सभी की पसंद और नजरें इसी सीट की है।