देसी ब्रांडः कभी स्कूटर के लिए लगती थी लाखों की वेटिंग, बजाज ने कैसे खड़ा किया 2,38,000 करोड़ का साम्राज्य

Be इंडियन-Buy इंडियन: बजाज की शुरुआत, उनके शुरुआती संघर्ष, सफलता के कारक, आज की स्थिति, बाजार में उनकी स्थिति, ब्रांड का मूल मंत्र और इस कहानी से मिलेगा आपको सबकुछ।

author-image
Manish Kumar
New Update
be indian buy indian bajaj

Photograph: (The Sootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Be इंडियन-Buy इंडियन: भारतीय देसी ब्रांड बजाज की सफलता की कहानी भारत के तकनीकी नवाचार, दृढ़ आत्मविश्वास और सामाजिक जिम्मेदारी की अनूठी मिसाल है। यह कहानी न सिर्फ कारोबारी बल्कि एक भारतीय सपने की भी कहानी है। कैसे एक परिवार की दूरदर्शिता और सच्ची मेहनत ने बजाज को ‘भारत की धड़कन’ बना दिया।

be indian-buy indian
Photograph: (the sootr)

कैसे हुई बजाज की शुरुआत

1926 में राजस्थान के काशी का बास गांव में जन्मे जमनालाल बजाज ने छोटी उम्र में ही व्यापार की समझ और सामाजिक सरोकारों को आत्मसात कर लिया था। वे महात्मा गांधी के बेहद करीबी रहे और स्वतंत्रता आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। समाज सुधार, सेवा और खादी को बढ़ावा देने की सोच के तहत उन्होंने ‘बजाज समूह’ की नींव रखी।

शुरुआत चीनी और कपड़ा उद्योगों के छोटे कारोबार से हुई, लेकिन 1945 में “मेसर्स बछराज ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड” के रूप में बजाज ऑटो की स्थापना ने कहानी में नया मोड़ लाया। शुरू में ये कंपनी दूसरे देशों से आयातित दोपहिया और तिपहिया वाहन बेचती थी। यह समय आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी असमर्थता का था, लेकिन जमनालाल बजाज ने कभी हार नहीं मानी।

बजाज की ब्रांड की शुरुआती संघर्ष की कहानी

आजादी के शुरुआती वर्षों में भारत का बाजार विदेशी कंपनियों के कब्जे में था। बजाज जब खुद से निर्माण की चाह लेकर आगे बढ़े तो लाइसेंस, गुणवत्ता परीक्षण, पूंजी जुटाने और तकनीकी ज्ञान जैसी बड़ी चुनौतियां सामने थीं।

1940-50 के दशक में उनका सबसे बड़ा संघर्ष था: विदेशी पार्टनरशिप और भारत सरकार से स्थानीय उत्पादन के लिए लाइसेंस पाना। 1959 में बड़ी मेहनत और सरकारी प्रक्रियाओं के बाद बजाज को दोपहिया और तिपहिया निर्माण की अनुमति मिली।

कंपनी का प्लांट पुणे में लगाया गया। उत्पादों की गुणवत्ता को भारतीय जलवायु और सड़कों के हिसाब से बनाने की चुनौती थी। साथ ही, उपभोक्ताओं के मन में “बजाज” तो एक नया नाम था- गहराई से भरोसा जमाना आवश्यक था।

सफलता की कहानी : बजाज चेतक से पल्सर तक

1970 के दशक में “बजाज चेतक” स्कूटर का लॉन्च भारतीय परिवहन में क्रांतिकारी साबित हुआ। “हमारा बजाज” का नारा गूंजने लगा, और मिडिल क्लास फैमिली का सपना स्कूटर होने लगा। बजाज स्कूटर ने उस दौर में लाखों परिवारों को सशक्त किया।

इसके बाद इस स्वदेशी कंपनी ने मोटरसाइकिल सेग्मेंट में “बजाज सुपर”, “बजाज सिटी 100” और बाद में “पल्सर”, “एवेंजर”, “डिस्कवर” जैसी लोकप्रिय बाइकों को लॉन्च किया। 1980-90 में ऑटो रिक्शा के उत्पादन से शहरी परिवहन को नया आयाम मिला। लगातार नवाचार, बदलते डिजाइनों और उपभोक्ता हितों के कारण बजाज फर्स्ट चॉइस बना रहा।

2001 में “पल्सर” के लॉन्च ने युवाओं के दिलों में जगह बनाई और कंपनी की छवि सिर्फ व्यापारी नहीं, टेक्नोलॉजी लीडर की बनी। आज बजाज विश्व में टॉप मोटरसाइकिल और तिपहिया वाहन एक्सपोर्टर है।

आज बाजार में बजाज की क्या स्थिति है?

2025 में बजाज ऑटो का बाजार पूंजीकरण 2,38,000 करोड़ रुपए से अधिक है और निफ्टी ऑटो इंडेक्स में इसकी टॉप रैंकिंग है। बजाज ऑटो भारत में सबसे बड़ा दोपहिया और तिपहिया वाहन एक्सपोर्टर भी है, जो 100 से ज्यादा देशों में अपने उत्पाद बेचता है। भले ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा हो, बजाज बाइक, बजाज फिनसर्व, बजाज इलेक्ट्रिकल्स जैसे डिवीजन ब्रांड ग्रुप की ताकत और विविधीकरण को विस्तार देते हैं।

ब्रांड बजाज की मार्केट में पॉजिशन

बजाज ग्रुप अपने विविध कारोबार (ऑटोमोबाइल, फाइनेंस, इलेक्ट्रिकल्स, स्टील) के चलते भारतीय ब्रांड्स की अग्रणी कतार में आता है। बजाज ऑटो दुनियाभर में चौथी सबसे बड़ी मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी है।

भारत में “बजाज” नाम विश्वसनीयता, नवाचार और मध्यम वर्ग के सपनों का पर्याय है। वर्तमान ऑटोमोबाइल बाजार में हीरो, होंडा, टीवीएस, रॉयल एनफील्ड जैसे ब्रांड्स से कड़ी टक्कर के बावजूद बजाज की पहचान सबसे अलग है।

ग्रुप के स्टॉक्स (बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व, बजाज इलेक्ट्रिकल्स) निवेशकों के बीच हमेशा डिमांड में रहते हैं, जो इसकी वित्तीय मजबूती और दीर्घकालीन दृष्टि का प्रमाण है।

बजाज ब्रांड का मूल मंत्र

बजाज की सबसे मजबूत पहचान है- “विश्वास, गुणवत्ता और नवाचार”। संस्थापक जमनालाल बजाज ने नैतिक कारोबार, समुदाय सेवाभाव और भारतीयता को बिजनेस संस्कृति में आत्मसात किया। बजाज का मानना है कि “मुनाफा जितना जरूरी है, उतना ही महत्वपूर्ण है समाज का लाभ।” इसी सोच से कंपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास में समाजसेवा करती रही है। आज बजाज समूह के 1 लाख से अधिक कर्मचारी और हजारों डीलरशिप हर घर तक इसकी ऊर्जा पहुंचाते हैं।

इस कहानी से क्या सीखा जा सकता है

- संघर्ष और सामाजिक प्रतिबद्धता एक सफल बिजनेस की नींव है। प्रारंभिक असफलताओं और सरकारी नीतिगत बाधाओं के बावजूद यदि दूरदृष्टि, श्रम और नैतिकता हो, तो रोडमैप तैयार हो सकता है।
- नवाचार, गुणवत्ता और समय के साथ ढलना ही हर बाजार और जनमानस में मौजूदगी बनाता है। बजाज चेतक से पल्सर तक का सफर, इसका प्रमाण है।
- अगर कारोबारी सफलता को समाज से जोड़ दिया जाए, तो ब्रांड सिर्फ नाम नहीं, पीढ़ियों का ‘भरोसा’ बन जाता है।
- विविधता और बदलाव को अपनाने में ही व्यवसाय की दीर्घकालिक सफलता है- बजाज ने ऑटोमोबाइल से फाइनेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, हेल्थ और CSR की दिशा में फैलाव किया।

स्रोत:

https://www.bajajgroup.company/
Research Articles on Bajaj Innovation and Market Trends
Industry Insights from Leading Auto Experts

FAQ

बजाज ग्रुप की स्थापना किसने और कब की थी?
जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज ग्रुप की शुरुआत की थी, जिसने बाद में बजाज ऑटो लिमिटेड की स्थापना 1945 में की।
बजाज ऑटो के सबसे लोकप्रिय प्रोडक्ट कौन-कौन से हैं?
बजाज चेतक स्कूटर, बजाज पल्सर सीरीज, बजाज अवेंजर, बजाज डिस्कवर मोटरसाइकिल और ऑटो रिक्शा बजाज ऑटो के सबसे लोकप्रिय उत्पाद हैं।
आज बजाज ग्रुप कितने सेक्टर में कारोबार करता है और उसके मुख्य बिजनेस क्या हैं?
बजाज ग्रुप मुख्य तौर पर ऑटोमोबाइल (बजाज ऑटो), फाइनेंस (बजाज फिनसर्व), उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (बजाज इलेक्ट्रिकल्स) और स्टील (मुकुंद) जैसे क्षेत्रों में कारोबार करता है।

ये खबर भी पढ़ें...

देसी ब्रांडः जानिए कैसे महाराजा के तोहफे से शुरू हुए मैसूर सैंडल सोप ने तय किया 1,788 करोड़ रुपए तक का टर्नओवर

देसी ब्रांडः जानिए 25 रुपए से शुरू हुए अमूल ने कैसे खड़ा किया 90,000 करोड़ का साम्राज्य

देसी ब्रांडः जानिए बोरोलीन ने कैसे जीता भारतीयों का दिल, आजादी के बाद क्यों फ्री बांटी थी 1 लाख ट्यूब्स?

देसी ब्रांडः जानिए कैसे हिमालया कंपनी ने किराए की जगह और मां के गहने गिरवी रखकर बनाई अपनी पहचान

देसी ब्रांड : साइकिल पर दवा बेचने से शुरू हुई डाबर, कैसे बनी भारत की टॉप-5 FMCG कंपनी, जानें अनसुनी कहानी

देसी ब्रांड : सिर्फ 50 पैसे में शुरू हुई थी Parle-G की कहानी, आज है 8600 करोड़ रुपए का साम्राज्य

देसी ब्रांड : दो दोस्तों ने नौकरी छोड़कर खड़ा किया इमामी, आज साढ़े तीन हजार करोड़ का है कारोबार

देसी ब्रांड : कभी एक कमरे में हुई थी बैद्यनाथ की शुरुआत, आज 500 करोड़ का है कारोबार

'द सूत्र' के महाअभियान Be इंडियन-Buy इंडियन का आगाज, सीएम मोहन यादव ने लॉन्च किया पोस्टर और लोगो

बजाज ग्रुप बजाज ऑटो बजाज स्कूटर जमनालाल बजाज देसी ब्रांड Be इंडियन-Buy इंडियन स्वदेशी बजाज बाइक
Advertisment