Raipur. छत्तीसगढ़ में टाईगर रिज़र्व के रुप में केंद्र सरकार दो क्षेत्रों को अनुमति दे चुकी है। लेकिन साल भर बीतने के बावजूद राज्य सरकार इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाई है। वन विभाग के पीसीसीएफ़ वाइल्डलाइफ़ पी नरसिम्हा अब भी यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि आख़िर इस पर राज्य सरकार अपनी औपचारिकताओं को कब तक पूरा कर लेगी।टाईगर रिज़र्व के रुप में किसी क्षेत्र को अनुमति केंद्र सरकार से मिले, यह बेहद क़वायद के बाद हो पाता है। हसदेव अरण्य पर पर्यावरणविदों के निशाने पर आए मुख्यमंत्री बघेल और उनकी सरकार के लिए यह एक और अहम सवाल है कि, आख़िर भूपेश सरकार ने इस मसले पर अब तक कुछ क्यों नहीं किया है। पर्यावरण और विशेषकर वन्य जीवन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता यह मानते हैं कि, इस मसले पर मिली मंज़ूरी के बाद जो अनिवार्य औपचारिकताएँ होती हैं,वह सरकार की उद्योग प्रियता की राह में ख़लल डाल सकती है। दावा यह भी किया जाता है कि, पीसीसीएफ़ वाईल्ड लाईफ़ कार्यालय से इस बाबत दो पत्र गए, एक में कार्यालय से चूक हुई तो दूसरे पत्र में सरकार की ओर से कुछ प्रश्न के साथ पत्र वापस आ गया, और एक बार फिर गेंद राज्य सरकार के पाले में ही है।लेकिन चुंकि विभाग और सरकार की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं है, इसलिए कारणों को लेकर अधिकृत रुप से बता पाना संभव नहीं है। ये केवल फिलहाल केवल कयास की श्रेणी में हैं।
सीएम बघेल ने ख़ुशी जताई थी
केंद्र सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जिन दो जगहों को टाइगर रिज़र्व के रुप में अनुमति दी, उसमें से गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाईगर रिज़र्व के रुप में छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में घोषित करने का फ़ैसला लिया था। तब सीएम बघेल ने इस पर ख़ुशी जताई थी। मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ का अधिकृत ट्विटर हैंडल गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाईगर रिज़र्व के रुप में घोषित करने के निर्णय की जानकारी दी है।मुख्यमंत्री बघेल ने इस फ़ैसले पर ख़ुशी ज़ाहिर की थी।
केंद्र सरकार का पत्र आए साल भर हुआ
केंद्र सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से 5 अक्टूबर 2021 को डीआईजी फ़ॉरेस्ट राजेंद्र गढ़वाल ने पीसीसीएफ़ वाईल्ड लाईफ़ को पत्र लिखकर स्पष्ट रुप से सूचित किया कि, NTCA ने गुरु घासीदास नेशनल पार्क और तमोर पिंगला सेंचुरी को टाईगर रिज़र्व के रुप में अनुमति दे दी है। लेकिन इस पत्र आने के बाद राज्य सरकार का वन विभाग चुप बैठा हुआ है।
स्पष्ट जवाब नहीं मिला
वन विभाग हो या कि सरकार इस मामले में इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रही है कि, जबकि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग ने अनुमति दे दी है तो फिर प्रक्रिया कहाँ रुक गई। पीसीसीएफ़ वाईल्ड लाईफ़ नरसिम्हा से इस मामले में कहा
“मैं कोई निश्चित तारीख़ नहीं बता सकता, फ़ाईल चल रही है, शासन स्तर पर विचाराधीन है।”