NEW DELHI/JAIPUR. एक तरफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं, दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव का बिगुल बज चुका है, वहीं राजस्थान में सियासी संकट हल होने का नाम ही नहीं ले रहा। 26 सितंबर को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जयपुर गए दोनों पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उसके बाद कार्रवाई के संकेत दिए हैं। वहीं, मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी और कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने पहली बार खुलकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन के खिलाफ आरोप लगाए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि माकन जयपुर में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाकर काम कर रहे थे और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का मिशन लेकर आए थे। वे विधायकों को भरोसे में लेने में जुटे थे।
धारीवाल ने कहा- ये 100% सीएम (अशोक गहलोत) को हटाने की साजिश थी और प्रभारी महासचिव (अजय माकन) इसका हिस्सा थे। मैं किसी और की बात नहीं कर रहा हूं। खड़गे पर कोई आरोप नहीं हैं, बल्कि प्रभारी महासचिव पर चार्ज लगा रहा हूं। सीएम गहलोत ने हमेशा हाईकमान के निर्देशों का पालन किया है।
गद्दारी करने वालों को कोई बर्दाश्त नहीं करेगा- शांति धारीवाल
धारीवाल के मुताबिक, पार्टी महासचिव खुद विधायकों को भरोसे में ले रहा है और ऐसे लोगों को सीएम बनाने का मिशन लेकर आया है, जिन्होंने 2020 में पार्टी के खिलाफ बगावत की थी। यही वजह है कि विधायकों की भावनाएं भड़क गईं। विधायकों का नाराज होना स्वाभाविक था। नाराज विधायकों के मेरे पास फोन आए। उन्होंने कहा कि हमारी पूरी बात सुनी जाए। हमने तीन घंटे तक उनकी बात सुनी। वो चाहते हैं कि कांग्रेस के निष्ठावान 102 विधायकों में से किसी को भी सीएम बना दिया जाए, जिसे सोनिया जी कहेंगी, उसी को बना दिया जाए। सोनियाजी के निर्णय को कोई चैलेंज नहीं कर सकता, लेकिन गद्दारी करने वालों को पुरस्कार दिया जाए, ये यहां का विधायक कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। षड्यंत्र रचा जा रहा था। इस षड्यंत्र में जनरल सेक्रेटरी शामिल थे। मेरे पास इसके सबूत भी हैं। ये आरोप खड़गे साहब पर नहीं है।
खाचरियावास ने कहा था- सरकार बचाने को खून बहा देंगे
इससे पहले गहलोत के एक और करीबी और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी खुलकर सामने आए थे। उन्होंने कहा था- ED, CBI की टीमें राजस्थान की सड़कों पर उतरने वाली हैं। हमको ED, CBI और IT के नोटिस आते ही रहे हैं, उनका भी जवाब दे देंगे। परिवार (कांग्रेस) के नोटिस का भी जवाब दे देंगे। नोटिस का कोई टेंशन नहीं, लेकिन अब केंद्रीय जांच एजेंसियों के नोटिस आने शुरू हो गए हैं। आईटी की टीम ने मंत्री राजेंद्र यादव के घर छापा मारा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर लड़ना पड़ेगा। सड़कों पर बराबर का मुकाबला करेंगे। बीजेपी लाठी चलाएगी तो लाठी का जवाब देंगे। बीजेपी गोली चलाएगी तो गोली का जवाब देंगे। बीजेपी जुल्म करेगी तो जुल्म का जवाब देंगे। बीजेपी एजेंसी भेजेगी तो एजेंसी का जवाब देंगे। लेकिन, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को बचाने के लिए एक-एक विधायक और कार्यकर्ता कल भी एक था, आज भी एक है।
खाचरियावास ने ये भी कहा कि सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी की आवाज पर सड़कों पर खून बहा देंगे। कोई अफवाह फैलती है तो क्लीयर कर दीजिए। परिवार का मामला है, बात क्लीयर हो जाएगी। लेकिन बीजेपी सरकार गिराने की जो साजिश कर रही है, उसे षड्यंत्र से बचाने के लिए कोई बात करें तो वो बात सुनी जानी चाहिए।
सचिन पायलट की दौड़भाग, गहलोत की आशंकाएं और समर्थकों की लामबंदी
सोनिया गांधी और राहुल, अशोक गहलोत को लेकर पार्टी के भविष्य के प्रति आश्वस्त दिख रहे थे, लेकिन दो दिनों में उनके समर्थकों की गतिविधियां अनुशासनहीनता के दायरे में आ गईं। गहलोत मुख्यमंत्री पद का मोह छोड़कर पार्टी अध्यक्ष बनने को तैयार हो गए थे। सार्वजनिक तौर पर नवरात्रि में नामांकन करने की बात भी कबूल कर ली थी, लेकिन जैसे ही सचिन पायलट की केरल, दिल्ली की भागदौड़ और सक्रियता बढ़ी, गहलोत ने तय कर लिया कि अगर पायलट को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात उठी तो वे खेल बिगाड़ेंगे। गहलोत समर्थक एक वरिष्ठ विधायक का तर्क है कि जब ये तय हो गया कि गहलोत कांग्रेस के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं तो क्या राज्य में उनकी पसंद-नापसंद को अनसुना किया जाएगा।
जिस दौरान पायलट केरल में राहुल, फिर दिल्ली आकर सोनिया और प्रियंका से मिलकर अपना दावा मजबूत कर रहे थे, गहलोत उस दौरान भी राहुल को मनाने में सक्रिय रहे, ताकि उन्हें सीएम पद न छोड़ना पड़े। आखिरकार राहुल ने भी आलाकमान के फैसले के साथ विधायकों की रायशुमारी पर ज्यादा जोर दिया। दरअसल राज्य प्रभारी अजय माकन परंपरागत ढंग से गेंद को केंद्रीय नेतृत्व के पाले में डलवाना चाहते थे। यही गहलोत समर्थक विधायकों की लामबंदी का कारण बन गया। गहलोत समझ गए थे कि केंद्रीय नेतृत्व को अधिकार वाला प्रस्ताव पास होते ही पायलट का पक्ष मजबूत हो जाएगा और उन्हें भी फैसला मानना होगा। गहलोत भले ही विधायकों के इस्तीफा देने की जिद में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे, लेकिन संदेश यही गया कि उनकी मंजूरी के बिना विधायक ऐसा कदम उठा ही नहीं सकते।
#WATCH | "MLAs of Rajasthan will not sit through & tolerate traitors being rewarded," says State Cabinet Minister Shanti Dhariwal pic.twitter.com/jnFXuHEzjV
— ANI (@ANI) September 26, 2022