LONDON. कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस समय 7 दिन के ब्रिटेन के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल में छात्रों को संबोधित किया। अपने भाषण में उन्होंने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का भी जिक्र किया। राहुल ने कहा कि दुनिया में लोकतांत्रिक माहौल को बढ़ावा देने के लिए नई सोच जरूरी है, लेकिन उसे थोपा नहीं जाना चाहिए।
राहुल के भाषण की खास बातें
1. राहुल ने कैंब्रिज के छात्रों को बताया कि भारत जोड़ो यात्रा एक जर्नी रही, जिसमें लोग खुद के बजाए दूसरों को सुनते हैं। इस यात्रा के जरिए उन्होंने भारत में बेरोजगारी, अन्याय और लगातार बढ़ रही असमानता की ओर ध्यान खींचा।
2. भाषण के दूसरे हिस्से में राहुल ने सेकंड वर्ल्ड का जिक्र किया, जो सोवियत संघ के 1991 के विघटन के बाद से अमेरिका और चीन के दो अलग-अलग पहलू पर केंद्रित था। राहुल ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित नौकरियों को खत्म करने के अलावा अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के बाद से खुद को समेट लिया है, जबकि चीन ने कम्युनिस्ट पार्टी के इर्द-गिर्द के संगठनों के जरिए अपना तंत्र फैलाया है।
3. राहुल के लेक्चर का आखिरी हिस्सा इम्पेरेटिव फॉर ए ग्लोबल कंजरवेशन से जुड़ा था। उन्होंने अलग-अलग पहलुओं को अपनाने के लिए नए तौर-तरीकों को अलग-अलग डाइमेंशन के साथ पिरोने पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को यह भी समझाया कि यात्रा एक तीर्थयात्रा है, जिससे लोग खुद ही जुड़ जाते हैं, ताकि वे दूसरों को सुन सकें। जानकारी के मुताबिक, लर्निंग टू लिसन इन द 21वीं सेंचुरी' विषय पर राहुल ब्रिटेन में भारतीय समुदाय के लोगों को भी संबोधित कर सकते हैं।
मई 2022 में भी राहुल ने कैंब्रिज में स्पीच दी थी
राहुल गांधी इससे पहले मई 2022 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए थे। यहां पर उन्हें आईडियाज फॉर इंडिया विषय पर बोलना था। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी सरकार देश की संवैधानिक संस्थाओं जैसे संसद और चुनाव आयोग को उनका काम नहीं करने दे रहे हैं। बीजेपी ने उनके इस बयान पर ऐतराज जताया था। सवाल पूछा था कि देश के प्रधानमंत्री पर विदेश में ऐसा बयान क्यों दिया?
कैंब्रिज में राहुल नाम बदलकर पढ़े थे
राहुल गांधी ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में रॉल विंची के नाम से पढ़ाई की थी। उन्होंने डेवलपमेंट स्टडी में 1995 में एमफिल किया था। नाम इसलिए बदलना पड़ा था, क्योंकि पिता राजीव गांधी की हत्या के बाद सभी राहुल की सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद थे। राहुल की डिग्री को लेकर जब विवाद शुरू हुआ तो तब कैंब्रिज की वाइस चांसलर रहीं प्रो. एलीसन रिचर्ड ने भी एक लैटर लिखा और बताया था कि राहुल ने रॉल विंची के नाम से डिग्री ली थी।