New Delhi. बहुचर्चित अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की जांच रिपोर्ट आज सार्वजनिक कर दी गई। जांच कमेटी ने 6 मई को यह रिपोर्ट शीर्ष कोर्ट को सौंप दी थी। जांच रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है कि शेयर के दामों में हेरफेर के आरोपों पर यह फैसला करना संभव नहीं है कि इसकी वजह सेबी का रेगुलेटरी फेल्योर है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सेबी को संदेह है कि 13 विदेशी फंडों के अडाणी ग्रुप के साथ संबंध हो सकते हैं। हालांकि जांच कमेटी को अडाणी के शेयरों में आर्टिफिशियल ट्रेडिंग का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जारी होने से पहले ही कई संस्थाओं ने शॉर्ट पोजीशन ले रखी थी।
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11 जुलाई को अगली सुनवाई
इस मामले पर हुई सुनवाई दौरान अदालत ने कहा था कि इस रिपोर्ट के विश्लेषण के लिए समय चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट पक्षकारों को भी दी जाएगी। रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को नियत की गई है। सीजेआई डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है।
दरअसल हिंडनबर्ग रिपोर्ट छपने के बाद से ही अडाणी ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई थी, जिससे देश के लाखों निवेशकों को करोड़ों का नुकसान हुआ था। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जज एएम सप्रे की अगुवाई में एक जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलकेणी और सोमशेखर सुंदरेसन भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को इस कमेटी का गठन किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट से बनी परिस्थिति का ओवरऑल असेसमेंट करने, मार्केट में आई अस्थिरता का कारण पता लगाने, निवेशकों की जागरुकता बढ़ाने के उपाय सुझाने के साथ-साथ किसी तरह के रेगुलेटरी फेल्योर का पता लगाने के निर्देश दिए थे।