Bhubaneswar. ओडिशा के ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट ने देश-दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस भयानक हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई। करीब 1100 लोग घायल हैं। पूरे मामले की हाई लेवल से जांच चल रही है। इस हादसे में ड्राइवरों को लेकर 'जाको रखे साइयां मार सके ना कोय' वाली कहावत चरितार्थ हुई है। घटना के 62 घंटे बीतने के बाद लोगों में गाड़ियों के ड्राइवर और गार्ड्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। दो ट्रेनों (कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट) के लोको पायलट (ड्राइवर) और गार्ड घायल हुए। इलाज के लिए उनको ओडिशा के अस्पताल में भर्ती कराया गया। मालगाड़ी के इंजन चालक और गार्ड भी सही-सलामत हैं।
दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक राजेश कुमार ने बताया, कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड समेत बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस के ड्राइवर और गार्ड घायलों की सूची में थे। सभी घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है।
सिग्नल में गड़बड़ी के कारण हुआ हादसा
तीनों गाड़ियों के आपस में टकराने को लेकर रेलवे बोर्ड ने एक और बड़ी जानकारी दी है। बोर्ड ने ड्राइवरों के हवाले से बताया कि सिग्नल में गड़बड़ी के कारण यह हादसा हुआ।
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ड्राइवरों ने यह बताया
कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर ने बताया कि उसने ग्रीन सिग्नल देखकर ही आगे का रास्ता तय किया था। वहीं, यशवंतपुर एक्सप्रेस के ड्राइवर ने हादसे से पहले अजीब-सी आवाज सुनने का दावा किया। आपको बता दें कि इस भयानक हादसे में कोरोमंडल ट्रेन को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
कैसे हुआ हादसा?
रेलवे की तरफ से बताया गया कि ट्रेन नंबर 12481 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी, उसी वक्त डिरेल होकर वो अप लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन पूरी रफ्तार (फुल स्पीड) में थी, इसका परिणाम यह हुआ कि 21 कोच पटरी से उतर गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए।
यह भी एक जानकारी
शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक बहानगा बाजार स्टेशन पर सिग्नलिंग को लेकर मानव गलती इस हादसे की असल वजह थी। घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद चार वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों ने हादसे को लेकर रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है गौर से निरीक्षण करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन के लिए सिग्नल दिया गया। हालांकि तुरंत बाद ही सिग्नल वापस ले लिया गया। कोरोमंडल एक्सप्रेस को मेन लाइन पर जाने का सिग्नल था। लेकिन वह मेन लाइन पर जाने के बजाए लूप लाइन पर चली गई। लूप लाइन पर पहले से मालगाड़ी खड़ी होने से हादसा हो गया। फिर ट्रेन पलटी तो दूसरे ट्रैक पर डिब्बे आ गिरे। बाद में इसी ट्रैक पर यशवंतपुर एक्सप्रेस आकर भिड़ गई। दो पेज की हाथ से लिखी यह रिपोर्ट वरिष्ठ रेल अधिकारियों, जेएन सुबुधि, आरके बनर्जी, आरके पंजीरा और एके मोहंतू ने तैयार की है।