Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने साल 2000 में कांग्रेस नीत सरकार द्वारा लाई गई जनसंख्या नीति को 22 साल बाद भी लागू नहीं किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है। इस सिलसिले में राज्य सरकार समेत अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी किए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले को सुनवाई के लिए रखा गया था।
इस जनहित याचिका के याचिकाकर्ता डॉ पीजी नाजपांडे की ओर से अधिवक्ता सुरेंद्र वर्मा, देशपाल चौधरी और संजय सिंघई ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि वर्ष 2000 में कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश जनसंख्या नीति लेकर आई थी। इसके अंतर्गत राज्य और जिला स्तरीय कमेटियां गठित की जानी थीं। लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया गया। जिस कारण जनसंख्या नीति ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। वहीं दूसरी ओर बढ़ती जनसंख्या के चलते प्रदेश के संसाधन जनता के लिए नाकाफी साबित हो रहे हैं। हालात यह है कि एक ओर राष्ट्रीय जनसंख्या वृद्धि का प्रतिशत 27 है वहीं मध्यप्रदेश में जनसंख्या नीति लागू न होने से बेतहाशा तरीके से जनसंख्या बढ़ रही हैं और वृद्धि का प्रतिशत 20 तक पहुंच गया है।
पूर्व में भी दायर हो चुकी याचिका
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने बताया कि पूर्व में भी इस सिलसिले में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने भरोसा दिलाया था कि शीघ्र ही जनसंख्या नीति लागू करने के प्रयास किए जाऐंगे। अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार व अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने निर्देशित किया है।