TONK. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस अपनी दो-दो लिस्ट जारी कर चुके हैं। इस बीच बीजेपी कांग्रेस के अपराजेय गढ़ टोंक के लिए विशेष रणनीति बनाने की उधेड़बुन में जुटी हुई है। साल 1951 से राजस्थान की यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। बीजेपी ने अभी टोंक जिले में मात्र दो प्रत्याशियों का ही ऐलान किया है। जबकि कांग्रेस टोंक सीट से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को उम्मीदवार डिक्लेयर कर चुकी है। माना जा रहा है कि हमेशा चौंकाने वाली बीजेपी इस बार टोंक में वाकओवर देने के बिल्कुल मूड में नहीं है।
स्थानीय उम्मीदवार या पैराशूट से उतरेगा दिग्गज
टोंक की सीट को लेकर बड़ा सवाल यही है कि क्या बीजेपी इस बार स्थानीय प्रत्याशी को ही मौका देगी या फिर पैराशूट से दिग्गज को यहां उतारा जाएगा। इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मैदान में उतारकर नई स्ट्रेटजी लाई है। बीते चुनावों की बात की जाए तो बीजेपी ने यहां ऐन वक्त पर स्थानीय दावेदार और सिटिंग एमएलए अजीत मेहता का टिकट काटकर यूनुस खान को मैदान में उतार दिया था। नतीजतन सचिन पायलट यहां 50 हजार से ज्यादा मतों से जीते थे। इस बार भी यहां बीजेपी की ओर से पूर्व विधायक अजीत मेहता का नाम जोर शोर से उठाया जा चुका है। मगर हाईकमान अभी तक इस सीट को रोके हुए है।
अब तक 10 जीत दर्ज कर चुकी कांग्रेस
टोंक विधानसभा में 1951 से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। लगातार विधानसभा चुनावों में 10 मर्तबा कांग्रेस ही यहां से जीतती चली आइ। हालांकि बीजेपी भी यहां से 5 मर्तबा जीत हासिल कर चुकी है। 1962 में यहां से राधाकिशन स्वतंत्र पार्टी ने जीत हासिल की थी तो 1972 और 77 में अजीत सिंह यहां जनसंघ और जनता पार्टी से जीत चुके हैं।
दो सीटों पर उतारे हैं बीजेपी ने उम्मीदवार
बीजेपी ने अपनी दूसरी लिस्ट में यहां मालपुरा की सीट से सिटिंग एमएलए कन्हैयालाल चौधरी को तीसरी मर्तबा प्रत्याशी बनाया है। वे 2013 और 2018 का चुनाव भी जीत चुके हैं। ऐसे में सवाल यह उठने लगा है कि क्या कन्हैयालाल इस बार जीत की हैट्रिक बना पाते हैं या नहीं। बीजेपी देवरी उनियारा से विजय बैंसला को भी उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।