राजस्थान की जनता परिवहन मंत्री को वजीर से बना देती है पैदल, 30 साल से चली आ रही रवायत, डोटासरा और ओला के सामने है चुनौती

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Chandresh Sharma
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राजस्थान की जनता परिवहन मंत्री को वजीर से बना देती है पैदल, 30 साल से चली आ रही रवायत, डोटासरा और ओला के सामने है चुनौती

JAIPUR. चुनाव आते ही इससे जुड़े हुए चुनावी मिथक भी राजनैतिक दलों की अग्निपरीक्षा ले डालते हैं। राजनैतिक दलों के साथ-साथ मिथकों के सामने भी यह चैलेंज रहता है कि वे अपनी रवायत के अनुसार चुनाव परिणाम ला पाएंगे या नहीं। जैसे राजस्थान की परंपरा है कि सत्ताधारी दल को हर 5 साल में विपक्ष में बैठना पड़ता है, उसी तरह राजस्थान का एक चुनावी मिथक और है, जो 30 साल से कायम है। यह मिथक यह है कि सूबे का परिवहन मंत्री चुनाव नहीं जीत पाता, इस मिथक के लिहाज से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और बृजेंद्र ओला की सीट खतरे में है।

25 नवंबर को होना है मतदान

राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है। बीजेपी-कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियां भी पूरा जोर लगा रही हैं। 3 दिसंबर को राजस्थान की जनता का फैसला उजागर हो जाएगा। लेकिन तब तक राजस्थान के इन मिथकों की चर्चा हर तरफ है। साल 1993 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें परिवहन मंत्री की कुर्सी पर बैठने वाला शख्स अपना चुनाव नहीं निकाल पाया है। देखने वाली बात यह होगी कि 3 दशकों से चले आ रहे इस मिथक को तोड़ने में गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री रहे दो नेता कामयाब हो पाते हैं या नहीं।

इस टर्म में रहे दो-दो परिवहन मंत्री

साल 2018 में अशोक गहलोत ने सीएम बनने के बाद परिवहन मंत्रालय की जिम्मेदारी गोविंद सिंह डोटासरा को दी थी। नवंबर 2021 में प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के बाद यह पद डोटासरा से लेकर बृजेंद्र ओला को दे दिया गया था। बृजेंद्र ओला अब झुंझुनूं से प्रत्याशी हैं जिनके सामने बीजेपी ने बबलू चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं डोटासरा की बात की जाए वे बीजेपी के सुभाष महरिया के खिलाफ लक्ष्मणगढ़ की सीट पर ताल ठोंक रहे हैं। यह बात भी सही है कि दोनों का मुकाबला बीजेपी प्रत्याशियों के साथ-साथ राजस्थान के इस मिथक से भी है।

बीते 5 चुनाव का रिजल्ट

1993 में रोहिताश शर्मा को परिवहन मंत्री बनाया गया। वे 1998 में बानसूर से चुनाव हार गए।

1998 में छोगाराम बाकोलिया और बनवारी लाल बैरवा ने परिवहन मंत्री का पद संभाला, दोनों ही 2003 के चुनाव में हार गए।

2003 में यूनुस खान परिवहन मंत्री बनाए गए। जो 2008 के चुनाव में विधानसभा ही नहीं पहुंच पाए।

2008 में बृजकिशोर शर्मा और वीरेंद्र बेनीवाल के हाथ परिवहन मंत्रालय की कमान आई तो 2013 में दोनों चुनाव मैदान में चित हो गए।

2013 में बीजेपी ने एक मर्तबा फिर यूनुस खान को परिवहन मंत्री बनाया जो 2018 में सचिन पायलट के सामने टोंक में हार गए।






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