RAIPUR. छत्तीसगढ़ में आयुष्मान और डॉ. खूबचंद बघेल योजना के तहत मरीजों का फ्री इलाज करने वाले सरकारी अस्पतालों के करीब एक हजार करोड़ रुपए फंसे। बता दें कि पिछले चार महीने से इन अस्पतालों को भुगतान नहीं किया गया है। अब बजट मिलने के बाद मरीजों के इलाज का खर्च अस्पताल प्रबंधन को दिया तो जा रहा है, लेकिन किसी को 10 हजार तो किसी को 20 हजार देकर निपटाया जा रहा है।
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बड़े अस्पतालों को भी 60-70 हजार ही किया जा रहा है भुगतान
यहां तक कि बड़े अस्पतालों को भी 60-70 हजार ही भुगतान किया जा रहा है। ये भुगतान भी एक-दो दिन के बाद दिया जा रहा है। इससे नाराज डॉक्टरों ने स्टेट नोडल एजेंसी के अफसरों से मिलने का समय मांगा, लेकिन डॉक्टरों को समय नहीं दिया गया। ऐसे में डॉक्टरों ने मेल के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है। बिलासपुर के निजी अस्पताल के संगठनों ने 10 फरवरी से सरकारी स्कीम के तहत इलाज बंद करने की चेतावनी दी थी।
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नोडल एजेंसी के अफसरों से नहीं मिल रहा डॉक्टरों को समय
इसके बाद इलाज ठप होने के डर को देखते हुए अस्पतालों में भुगतान शुरू किया गया, लेकिन इसके सिस्टम से पूरा अस्पताल प्रबंधन हैरान है। छोटे और मंझोले नर्सिंग होम व अस्पतालों को 10 से 50 हजार तक का भुगतान किया जा रहा है। ये भुगतान भी एक-एक केस के आधार पर हो रहा है। वहीं बड़े अस्पतालों के भुगतान में जबरदस्त कटौती की जा रही है। करोड़ों का पेमेंट अटका होने के बाद भी उन्हें एक लाख से 70-80 हजार ही भुगतान हो रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया कि करोड़ों का पेमेंट अटका होने के बाद भी जिस तरह से भुगतान किया जा रहा है, उसकी शिकायत करने स्टेट नोडल एजेंसी के अफसरों से समय मांगा गया था, लेकिन उनकी ओर से समय नहीं दिया गया।
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