JAIPUR. राजस्थान का ट्रेंड रहा है कि यहां हर 5 साल में सरकार बदल जाती है, हर बार एससी-एसटी के लिए सुरक्षित सीटें ही पार्टियों का खेल बिगाड़ देती हैं। इन्हीं सीटों के हाथ से निकल जाने की वजह से साल 2013 में कांग्रेस को करारी हार मिली थी। यही कारण है कि इस बार सत्तानशीन कांग्रेस पुराने ट्रेंड को तोड़ने के लिए सुरक्षित सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है। इसके लिए प्रदेश की 59 सुरक्षित सीटों की वृहद योजना बनाई गई है।
बूथ-ब्लॉक से लेकर विधानसभा स्तर पर बनेंगी कमेटियां
कांग्रेस सुरक्षित सीटों पर बूथ से लेकर ब्लॉक और फिर विधानसभा स्तर पर अलग-अलग टीमें गठित करेगी। ये टीमें चुनाव मैनेजमेंट का काम करेंगी। समितियों की मॉनीटरिंग सीधे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी करेगी। यही नहीं राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी यही प्लान लागू किया जा रहा है।
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विधानसभा कॉर्डिनेटर हुए नियुक्त
विधानसभा चुनाव की रणनीति के तहत कांग्रेस ने राजस्थान की 59 सीटों पर मॉनीटरिंग के लिए विधानसभा कॉर्डिनेटर नियुक्त कर दिए हैं। 5-5 सीटों का क्लस्टर बनाकर इनकी निगरानी भी सीनियर नेता कॉर्डिनेटर के रूप में करेंगे। कॉर्डिनेटर्स का काम होगा कि वे कांग्रेस की सभी संगठन इकाईयों और प्रमुख नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करेंगे। जहां भी गुटबाजी या निष्क्रियता दिखाई देगी, उस बाबत एआईसीसी को इत्तला दी जाएगी। राष्ट्रीय स्तर पर एससी-एसटी-ओबीसी और अल्पसंख्यक मामलों के प्रभारी के राजू इस योजना का नेतृत्व कर रहे हैं।
मिलकर काम करेंगी सभी विंग
कांग्रेस के राजनैतिक पंडित और रणनीतिकार मानते हैं कि अब तक चुनाव के दौरान कांग्रेस में एससी-एसटी सीटों पर एससी-एसटी विंग ही काम करती थीं, लेकिन इस बार तय किया गया है कि एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक विंग मिलकर काम करेंगी। जिन्हें प्रभारी बनाया जाएगा उनमें भी जाति को देखा जाएगा। एससी सीटों पर एससी के बजाए अन्य जातियों के कॉर्डिनेटर लगाए जाएंगे वहीं एसटी सीटों पर भी यही नियम लागू किया जाएगा।
समितियों में इन्हें मिलेगी जगह
बताया जा रहा है कि इन समितियों में जिला कांग्रेस कमेटी, महिला कांग्रेस, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक विंग के जिला अध्यक्षों के साथ यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के स्थानीय नेताओं को भी इस टीम में शामिल किया जाएगा। इसी तरह ब्लॉक कॉर्डिनेशन टीम में भी कांग्रेस के मुख्य संगठन के ब्लॉक स्तर के प्रमुख लोग शामिल किए जाने हैं। पार्टी इसी रणनीति के साथ कर्नाटक में सफलता हासिल कर चुकी है। जिसके चलते इस योजना को चारों राज्यों के चुनाव के दौरान भी अपनाया जाएगा।