सीताराम आदिवासी की रावत को नसीहत, बोले- मैं किसी से नहीं डरता, अपने समाज के लोगों को समझा लो

कराहल में तेंदूपत्ता बोनस वितरण कार्यक्रम में सीताराम आदिवासी ने वनमंत्री को भेदभाव न करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि चुनाव की चिंता मत करो, लेकिन समाज को लोगों को समझाकर रखना कि वे लड़ाई-झगड़ा न करें।

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Pratibha ranaa
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सीताराम आदिवासी
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श्योपुर जिले के कराहल में आयोजित तेंदूपत्ता बोनस वितरण कार्यक्रम में बीजेपी के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने मंच से अपनी बेबाकी से वनमंत्री रामनिवास रावत को सख्त नसीहत दे डाली। सीएम मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में सीताराम ने ऐसा कुछ कह दिया कि कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग भौचक्के रह गए। 

आप अपने समाज के लोगों को समझा लीजिए...

दरअसल पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने कहा कि मैं सीधी बात कहता हूं, रामनिवास जी, कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए और कोई जातिवाद नहीं होना चाहिए। सभी को एक समान दृष्टि से देखा जाना चाहिए, ताकि हमारी सरकार की बदनामी न हो। आगे उन्होंने रामनिवास रावत को स्पष्ट रूप से कहा कि आप अपने समाज के लोगों को समझा लीजिए कि कोई लड़ाई- झगड़ा न करे। मैं किसी से नहीं डरता हूं और अब ऐसा नहीं चलेगा। आजकल सब जागरूक हो गए हैं, आदिवासी भी जागरूक हैं, और लड़ने के लिए तैयार हैं।

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समाज में कोई भेदभाव न हो, हम आपको जिताएंगे

बातों ही बातों में सीताराम ने ये आश्वासन भी दिया कि आप किसी भी बात की परवाह ना करें। हम लोग मिलकर आपको जिताएंगे, लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें कि समाज में किसी तरह का कोई भेदभाव न हो और सभी को समान रूप से देखा जाए। वहीं सीताराम की बातों को रावत ने भी गंभीरता से लेते हुए कहा कि मैं किसी के साथ भेदभाव नहीं करूंगा

कौन हैं रामनिवास रावत

श्योपुर की विजयपुर सीट से पूर्व विधायक रामनिवास रावत छह बार के विधायक हैं। वह कांग्रेस के उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बनाने से नाराज थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी। रावत पहली बार 1990 में विधायक बने थे। वह 1993 में दिग्विजय सिंह कैबिनेट का हिस्सा रहे। रावत को 2 बार विधानसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा। 64 वर्षीय रावत ने 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। उनके परिवार में पत्नी उमा रावत के अलावा दो बेटे और दो बेटियां है। उनका पेशा वकालत है। उन्होंने बीएससी, एमए, एलएलबी की पढ़ाई की है।

रामनिवास रावत को मंत्री बनाने से भाजपा ग्वालियर-चंबल में मजबूत होगी बीजेपी का ऐसा मानना है। रावत ओबीसी समुदाय का बड़ा चेहरा माने जाते हैं। मंत्री बनने से रावत का स्वाभाविक रूप से कद बढ़ गया है। कांग्रेस के तेजतर्रार नेताओं में उनकी गिनती होती थी। रावत ने 30 अप्रैल 2024 को पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ली थी।

कांग्रेस छोड़ बीजेपी में हुए थे शामिल

रामनिवास रावत के कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया था। रावत का इस्तीफा मंजूर होने के बाद विजयपुर सीट रिक्त हो गई। इस सीट पर अब उपचुनाव होंगे। रामनिवास रावत विजयपुर सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे।

6  बार के विधायक हैं रावत

1987-1990 में राजनीति में उनकी एंट्री हुई। उस समय वे ब्लॉक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए। 
1988 में कृषि उपज मंडी समिति विजयपुर के अध्यक्ष रहे। 
1990-1993 में प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष चुने गए। 
1990 में नौंवी, 1993 में दसवीं, 2003 में बारहवीं एवं 2008 में तेरहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 
1993-98 में राज्यमंत्री तथा 1998 में मंत्री रहे। 
2000 से 2008 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे। सन् 1993 से वर्तमान तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे हैं। 
2013 में पांचवीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए, लेकिन वे 2018 में चुनाव हार गए थे।
2023 में फिर 6वीं बार विधायक चुने गए।

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