देश का पहला नदी मोड़ो प्रोजेक्ट MP में, सिंहस्थ से पहले शिप्रा होगी स्वच्छ
सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन की शिप्रा नदी को स्वच्छ बनाने का काम तेज हो गया है। सरकार 919 करोड़ रुपए की लागत से 30 किमी लंबी क्लोज डक्ट कान्ह डायवर्सन योजना पर काम कर रही है।
मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन की मोक्षदायिनी शिप्रा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए बड़ा कदम उठा रही है। कान्ह नदी के गंदे पानी से शिप्रा को बचाने के लिए 919 करोड़ रुपए की लागत से क्लोज डक्ट कान्ह डायवर्सन योजना पर काम शुरू हो गया है।
इस योजना के तहत 30 किमी लंबी नहर और टनल बनाई जा रही है। 18 किमी कट एंड कवर (Cut & Cover) नहर होगी, जबकि 12 किमी लंबी टनल (Tunnel) बनाई जा रही है। यह योजना 12 गांवों से होते हुए गंभीर नदी की डाउनस्ट्रीम (Downstream) तक पहुंचेगी।
योजना की शुरुआत 6 महीने पहले हुई थी और अब तक 15% काम पूरा हो चुका है। इस परियोजना में 400 से ज्यादा कर्मचारी दो शिफ्ट में काम कर रहे हैं। परियोजना को मार्च 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
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टनल के ऊपर होगी खेती
100 फीट गहरी टनल के ऊपर किसानों को खेती करने की परमिशन दी जाएगी। इससे कृषि को भी फायदा होगा और जमीन के इस्तेमाल में बाधा नहीं आएगी।
इंदौर रोड स्थित जमालपुरा गांव से कान्ह नदी के पानी का डायवर्जन (Diversion) किया जाएगा। यह पानी शिप्रा में मिलने के बजाय गंभीर नदी की डाउनस्ट्रीम में छोड़ा जाएगा।
शिप्रा को मिलेगा स्वच्छ जल
शिप्रा को प्रवाहमान रखने के लिए सेवरखेड़ी गांव में बैराज (Barrage) बनाकर सिलारखेड़ी डेम (Silarkhedi Dam) तक पानी लिफ्ट किया जाएगा। पर्व स्नानों (festival baths) के दौरान नर्मदा (Narmada) का पानी बहाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
देश की पहली ऐसी योजना
यह देश की पहली ऐसी योजना होगी, जिसमें नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए इस तरह की क्लोज डक्ट तकनीक (Closed Duct Technology) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
मयंक सिंह, कार्यकारी अभियंता, जल संसाधन विभाग (उज्जैन), ने कहा: "हमने अब तक 15% काम पूरा कर लिया है। यह योजना मार्च 2027 तक हर हाल में पूरी कर दी जाएगी। इसके बाद शिप्रा नदी को कान्ह के गंदे पानी से स्थायी राहत मिलेगी।"