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Photograph: (TheSootr)
जयपुर में एक कहावत खूब चर्चा में है, दीया तले अंधेरा…
राजस्थान की राजधानी में डिप्टी सीएम दीया कुमारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव और पद का दुरुपयोग करते हुए सरकारी और निजी जमीनों पर कब्जा जमाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, जयपुर नगर निगम हेरिटेज के दशकों पुराने दो गोदामों को रातों-रात खाली करवा कर वहां सिटी पैलेस ट्रस्ट जयपुर के बोर्ड लगवा दिए गए। तीसरे गोदाम को खाली करवाने की भी तैयारी बताई जा रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन पर दबाव डालकर उनकी निजी जमीनों पर भी बोर्ड गाड़ दिए गए हैं।
द सूत्र लगातार दीया कुमारी के कारनामों को उजागर कर रहा है। इससे प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है। इसी कड़ी में अब द सूत्र फिर एक बड़ा खुलासा करने जा रहा है।
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डिप्टी सीएम की मनमानी पर सरकार मौन
'द सूत्र' लगातार दीया कुमारी की करतूतों को उजागर कर रहा है। वे जब से महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट (सिटी पैलेस) की सचिव और डिप्टी सीएम बनी हैं, तभी से उनकी मनमानी जनता से लेकर सरकार तक के लिए सिरदर्द बन रही है। भाजपा संगठन से लेकर भजनलाल शर्मा सरकार अपनी डिप्टी सीएम दीया कुमारी के कारनामों पर पूरी तरह मौन है।
अब निगम के गोदामों पर किया कब्जा
दीया कुमारी का काली करतूत (दीया कुमारी विवाद) का ऐसा ही मामला जयपुर के आराध्य गोविन्ददेव जी महाराज के प्रवेश द्वार से लगती कमल गट्टा कॉलोनी में सामने आया है, जहां पर जयपुर नगर निगम हेरिटेज के दशकों पुराने तीन गोदाम हैं। दीया कुमारी ने अपने रसूखात और दबंगई का इस्तेमाल करते हुए रातों-रात दो सरकारी गोदामों को खाली करवाकर खुद का कब्जा जमा लिया है। अब तीसरे गोदाम को खाली करवाने का खेल चल रहा है। यह काम उनका ट्रस्ट दादागिरी के साथ कर रहा है।
खेल जारी है...प्राइवेट मकानों पर भी कब्जा
बताया जाता है कि नगर निगम के गोदामों के बाद एक और बड़े गोदाम व उससे लगते हुए आश्रय स्थल पर भी दीया कुमारी की नजर है। इतना ही नहीं, इस लाइन में दो व्यक्तियों के निजी मकान हैं, उन्हें भी मालिकाना हक के दस्तावेज मांगकर परेशान किया जा रहा है।
जयनिवास उद्यान के प्रवेश द्वार पर एक प्राइवेट व्यक्ति की करोड़ों रुपए की 800 वर्गगज जमीन पर भी कब्जा जमा लिया है। वहां पर भी दीया कुमारी से जुड़े सिटी पैलेस के बोर्ड गाड़ दिए हैं। ऐसे कुछ और भी मामले हैं, जो सिटी पैलेस, गोविन्ददेवजी मंदिर के आस-पास की कॉलोनियों में सामने आए हैं। वहां भी स्थानीय लोगों व सिटी पैलेस ट्रस्ट की मनमानी व दबंगई को लेकर विवाद शुरू होने लगे हैं। | |
50 साल से निगम का कब्जा, अब दीया कुमारी का ताला
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जयपुर में गोविन्ददेवजी मंदिर और जयनिवास उद्यान की दीवार से सटी कमल गट्टा कॉलोनी है। इसमें जयनिवास उद्यान के प्रवेश द्वार से नगर निगम आश्रय स्थल की एक लाइन में से 5 बड़े भूखण्ड जयपुर नगर निगम के स्वामित्व के हैं, जिनमें दो भूखण्ड प्राइवेट व्यक्तियों और एक प्राचीन मंदिर है।
यहीं नगर निगम के अधीन भूखण्डों की जमीन 1200 वर्गगज से भी अधिक है। जयनिवास उद्यान के प्रवेश द्वार से लगते दो गोदामों को, जिनमें नगर निगम की कार्यवाही के दौरान जब्त सामान जैसे थड़ी-ठेले, होर्डिंग्स व अन्य चीजें हैं, उन्हें रखा जाता है।
जयपुर नगर निगम के एक उच्च अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि दीया कुमारी के दबाव में दो गोदामों में रखे सामान को हटाया गया है। अब इन पर सिटी पैलेस का कब्जा है। गेट पर ताले लगा दिए गए हैं।
अधिकारी का कहना है कि सरकारी स्वामित्व की जमीन से हटने का सरकार में एक प्रोसेस होता है। मगर इस मामले में न तो सरकार में कोई फाइल चली और ना ही किसी तरह के आदेश हुए। इसके बावजूद रातों-रातसरकारी गोदाम प्राइवेट हाथों में चले गए। (जयपुर जमीन विवाद)
बताया जाता है कि रातोंरात हुए कब्जे को लेकर निगम प्रशासन ने आपत्ति भी जताई थी, लेकिन दीया कुमारी के रसूख के चलते कोई कार्यवाही नहीं हो पाई। अब शेष दो गोदामों व एक आश्रय स्थल पर भी सिटी पैलेस की नजर है। उन्हें भी खाली करवाए जाने के षड्यंत्र चल रहे हैं। | |
यह कैसी दबंगई...निजी जमीन पर भी लगाए बोर्ड
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जयनिवास उद्यान के प्रवेश द्वार पर ही एक प्राइवेट व्यक्ति की 800 वर्गगज जमीन है। वहां पर भी एक साल पहले तक नगर निगम हेरिटेज का कबाड़ गोदाम था। इसमें जब्त सामान रखा जाता था। इस जगह को भी दीया कुमारी के लोगों ने दबंगई से खाली करवा लिया है। वहां रखे सामान को जल्दबाजी में नीलामी करके बेचा और फिर जगह खाली करके प्राइवेट व्यक्ति को सौंप दी। प्राइवेट व्यक्ति ने चारदीवारी के लिए वहां निर्माण सामग्री भी रखवाई, लेकिन सिटी पैलेस ट्रस्ट ने उक्त जमीन पर अपना दावा ठोकते हुए अपने बोर्ड लगा लिए और वहां पर कंटीले तारों की बाड़ेबंदी कर दी। पीड़ित व्यक्ति अपनी जमीन के लिए अब कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। (दीया कुमारी ने किया जमीन कब्जा) भूखंड मालिक आर.के. पंसारी का कहना है कि यह हमारी प्रॉपर्टी है। सिटी पैलेस के नाजायज कब्जे को लेकर कोर्ट से स्टे ले रखा है।
जनता मार्केट में डालना पड़ता है सामान
दो गोदाम का नियंत्रण खत्म होने के बाद नगर निगम हेरिटेज के पास जब्त सामान को रखने की समस्या खड़ी होने लगी है। निगम की ओर से रोजाना अवैध अतिक्रमणियों के खिलाफ एक्शन लिया जाता है। गाड़ियों में थड़ी-ठेले, होर्डिंग्स व दूसरे सामान आते हैं। उन्हें रखने की जगह नहीं मिलने पर कई बार जनता मार्केट में खाली मैदान में सामान रखवाना पड़ता है। सामान की रखवाली के लिए आदमी तैनात करने पड़ते हैं। सिटी पैलेस ट्रस्ट ऐसे ही मनमानी करते हुए गोदाम खाली करवाता रहा, तो आने वाले दिनों में सामान रखने की समस्या खड़ी हो जाएगी।
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केस हारने के बाद भी सिटी पैलेस की दबंगई
दीया कुमारी का सिटी पैलेस ट्रस्ट जलेब चौक, पुरानी विधानसभा समेत अन्य सरकारी सम्पत्तियों पर अपने मालिकाना हक के दावे के मुकदमे लगातार हार रहा है। बावजूद इसके ट्रस्ट मनमानी व दबंगई दिखाते हुए सरकारी जमीनों पर कब्जे करने का मोह नहीं छोड़ रहा है।
जलेब चौक परिसर से जुड़ी संपत्तियों पर कब्जे और स्वामित्व से जुड़े मामले में हाल ही जिला सत्र न्यायाधीश जयपुर रीटा तेजपाल ने महाराजा सवाई मानसिंह-द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट की अपील को खारिज कर दिया था और अधीनस्थ अदालत के सही ठहराया है। अधीनस्थ अदालत ने सिटी पैलेस के जलेब चौक व अन्य सरकारी सम्पत्तियों के दावे को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने उक्त सम्पत्तियों को राज्य सरकार की मानी है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि 1949 को केन्द्र और जयपुर रियासत के बीच हुए कोवेनेंट की शर्त के अनुसार जलेब चौक के रख- रखाव का अधिकार 1959 में गठित सवाई मानसिंह-द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट को नहीं था। ट्रस्ट को जलेब चौक की खाली जमीन व दूसरी सम्पत्तियों को लाइसेंस पर देने का कोई अधिकार नहीं हैं। जयपुर रियासत के विलय के समय सरकारी उपयोग करने के लिए राज्य सरकार को कब्जा दिया था। कोवेनेंट के आधार पर ही सरकार सार-संभाल कर रही है। जलेब चौक व उसके चारों ओर के भवन राज्य सरकार के कब्जे व अधिकार में हैं।
श्रम विभाग, पुलिस विभाग, बिक्री कर विभाग, स्वास्थ्य विभाग, जागीर विभाग, परिवहन विभाग, नगर निगम सहित अन्य सरकारी ऑफिस चल रहे है। सरकार का कब्जा निरन्तर रहा है। अपीलार्थी को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि प्रभावित व आवश्यक पक्षकार होने के बावजूद सिटी पैलेस ट्रस्ट ने राज्य सरकार को पक्षकार ही नहीं बनाया गया।
राजा ने नया ट्रस्ट बनाया और जमीनें ट्रस्ट में बांट दी...
जलेब चौक व उससे लगती सम्पत्तियों पर काबिज होने के लिए सिटी पैलेस ट्रस्ट कानूनी दांव-पेंच करता रहता है। डीजे कोर्ट में दायर अपील में ट्रस्ट की ओर से कहा गया कि दिवंगत महाराजा सवाई मानसिंह बहादुर ने अपने जीवनकाल में इस ट्रस्ट का गठन किया था।
वर्ष 1972 में ट्रस्ट के चेयरमैन सवाई भवानी सिंह ने ट्रस्ट को जलेब चौक सहित अन्य संपत्तियां दी थीं। ट्रस्ट ने जलेब चौक की खाली जमीन को लाइसेंस पर अन्य लोगों को दिया था। ये संपत्ति ट्रस्ट की निजी संपत्तियां हैं और इन पर राज्य सरकार, नगर निगम या अन्य सरकारी विभागों का कोई हक नहीं है। संपत्ति पर लाइसेंसधारी थड़ी व टीन शेड लगाकर अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं, लेकिन 28 जून, 1994 को नगर निगम के कर्मचारियों ने इन्हें हटाने और उनका सामान जब्त करने की चेतावनी दी। तब 29 जून को निगम ने निर्माण ध्वस्त कर दिए।
दीया कुमारी ने नहीं दिया जवाब
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'द सूत्र' ने इस मामले में डिप्टी सीएम दीया कुमारी का पक्ष जानने के लिए उनके ईमेल पर सवाल भेजे, लेकिन अभी तक उनकी तरफ से कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया गया। जब भी दीया कुमारी का पक्ष हमें मिलेगा, उसे प्राथमिकता के साथ अवश्य प्रकाशित किया जाएगा।