गुजरात मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (GMRC) में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल मेट्रो के कार्यों पर सवाल खड़े किए, बल्कि यह भी दर्शाया कि कैसे एक व्यक्ति ने अपने दोस्त की डिग्री का इस्तेमाल कर सरकारी नौकरी हासिल की। इस घटना ने इस तथ्य को उजागर किया कि भारतीय नौकरी बाजार में जाली दस्तावेजों के जरिए कितनी आसानी से करियर बनाया जा सकता है।
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जाली डिग्री से बने AGM की कहानी
यह मामला तब सामने आया जब गांधीनगर के रहने वाले पंकजप्रसून दिनेशचंद्र सिंह ने कपिल शर्मा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पंकज ने आरोप लगाया कि कपिल ने उसे एक कंस्ट्रक्शन कंपनी शुरू करने का झांसा दिया और इसके बाद उसके निजी दस्तावेजों का दुरुपयोग किया। कपिल ने पंकज के बीई सिविल इंजीनियरिंग प्रमाणपत्र, मार्कशीट और अन्य जरूरी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, जिससे उसने अपनी नाम से एक फर्जी डिग्री प्रमाण पत्र तैयार किया और गुजरात मेट्रो में असिस्टेंट जनरल मैनेजर (AGM) के पद के लिए आवेदन किया।
कपिल शर्मा ने इस फर्जी डिग्री का उपयोग कर GMRC में करीब डेढ़ साल तक नौकरी की। यह मामला तब खुला जब पंकज ने आरोपित के खिलाफ शिकायत की और पुलिस ने जांच शुरू की।
कपिल शर्मा पर कई गंभीर धाराओं में केस
पुलिस ने कपिल शर्मा के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया। आरोप है कि उसने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल की और कई कंपनियों के लेटरहेड पर जाली ‘एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट’ भी तैयार किए। कपिल शर्मा पर IPC की विभिन्न धाराओं जैसे 406 (आपराधिक विश्वासघात), 467 (दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेजों को असली के रूप में उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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गुजरात मेट्रो में फर्जी डिग्री से पाई नौकरी
कपिल शर्मा के जाली दस्तावेजों के कारण वह GMRC में AGM पद पर कार्यरत हुआ। खास बात यह है कि यह घटना तब हुई जब मेट्रो प्रोजेक्ट अहमदाबाद और गांधीनगर के लिए शुरू किया जा रहा था। कपिल ने जाली डिग्री से न केवल नौकरी प्राप्त की, बल्कि मेट्रो प्रोजेक्ट के विभिन्न विभागों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन भी किया।
कपिल शर्मा पर मध्यप्रदेश में भी कई मामले दर्ज
कपिल शर्मा पर सिर्फ गुजरात मेट्रो में ही जाली दस्तावेज़ तैयार करने का आरोप नहीं था, बल्कि मध्य प्रदेश के इंदौर में भी उसके खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। ऐसा लगता है कि कपिल ने अपनी जाली डिग्री का प्रयोग कई स्थानों पर किया और धोखाधड़ी के जरिए अपना करियर स्थापित किया।
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दस्तावेजों की जांच में तकनीकी सुधार जरूरी
इस तरह के मामलों को रोकने के लिए सरकारी और निजी कंपनियों को अपनी भर्ती प्रक्रिया में कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। दस्तावेजों की जांच में तकनीकी सुधार की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सके। यदि इस मामले में मेट्रो के अधिकारियों ने सही तरीके से दस्तावेजों की जांच की होती, तो यह धोखाधड़ी रुक सकती थी।
कपिल शर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद अब पुलिस और संबंधित अधिकारियों द्वारा इस मामले की गहरी जांच की जा रही है। इस प्रकार के मामलों में जांच प्रक्रिया को तेज और अधिक पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है ताकि फर्जी डिग्री धारकों को कड़ी सजा मिल सके।