indore. शहर में आदर्श ब्रिज के रूप में प्रचारित किए गए पीपल्याहाना ब्रिज में बनी एक बड़ी दरार इसके असली रूप की कहानी कह रही है। दरार ब्रिज के करीब सौ मीटर के हिस्से तक
आपके साथ चलती है। चौड़ाई भी इतनी है कि बाइक का पहिया उलझ जाए। मामला मैदान में आने के बाद अब इंदौर विकास प्राधिकरण के अफसर और ब्रिज बनाने वाली एजेंसी अपने-अपने तर्क दे रही
हैं। हालांकि दोनों कह रहे हैं-दरार भर देंगे।
ब्रिज करीब पंद्रह महीने पहले बना था । शहर के जितने ब्रिज बने हैं उनमें इसे सबसे योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। यहां तक कि इसके बोगदों को भी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के रूप में निर्मित कर
उसी तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि दरारें बाहर आने के बाद इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। ठेकेदार एजेंसी का कहना है कि हर तीन महीने में ब्रिज की जांच करते हैं, सीमेंट की
सड़कों में यह दिक्कत हो जाती है। उसे भर देंगे। वहीं आईडीए के अधीक्षण यंत्री अनिल जोशी कांट्रेक्टर को पांच साल तक रख-रखाव करना है। उन्हीं से ठीक करवाएंगे।
दावों में भी दरार
ब्रिज के उद्घाटन के वक्त इसकी गुणवत्ता के साथ-साथ तकनीक को लेकर भी खासे दावे किए गए थे । बताया गया था कि ब्रिज पर से गुजरते समय झटके महसूस नहीं होंगे क्योंकि इसके जंक्शन
पाइंट तीस के बजाए 120 मीटर पर हैं। ब्रिज के कॉलम और पिलर भी इस तरह बनाए गए हैं कि यदि इसका विस्तार भी करना पड़ा तो परेशानी नहीं आएगी ।
ब्रिज का गणित
-45 करोड़ की लागत से बना
-750 मीटर लंबा, 24 मीटर चौड़ा
-तीन साल में बनकर तैयार हुआ