अ से असलहा और ब से बंदूक पढ़ाता था... नक्सली लीडर ऐसे करता था बच्चों का माइंड वॉश
सुधाकर नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी मेंबर तो था ही लेकिन उसने पूरे दंडकारण्य क्षेत्र में बच्चों और युवाओं के माइंड वॉश के लिए शिक्षा केंद्रों की शुरुआत की थी।
बीजापुर में फोर्स ने नक्सलियों के सीसी मेंबर और एजुकेशन हेड नर सिंहाचलम उपी सुधाकर को ढेर कर दिया गया है। सुधाकर नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी मेंबर तो था ही लेकिन उसने पूरे दंडकारण्य क्षेत्र में बच्चों और युवाओं के माइंड वॉश के लिए शिक्षा केंद्रों की शुरुआत की थी। इन शिक्षा केंद्रों में पढ़ाए जाने वाला सिलेबस भी सुधाकर ने तैयार किया था।
नक्सली पाठशाला खोलकर बच्चों का माइंड वॉश करता था नक्सली सुधाकर
सुधाकर कितना शातिर था इसे इस बात से समझा जा सकता था कि उसने जो सिलेबस बनाया था उसमें बेसिक शिक्षा से ही यह काचों के मन में नवरस्तवाद और हिंसा के प्रति एक नई सोच विकसित करता था। नक्सलियों का जो पहला सिलेबस सामने आया था उसमें अ से असलहा और व से बंदूक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था। अत्याचारों की कहानी सुनाकर नक्सलवाद से युवाओं को जोड़ना शुरू करवाया नक्सली पाठशाला की स्थापना के बाद इनका उपयोग व्यापक तौर पर किया जाने लगा।
यह सुधाकर की ही प्लानिंग थी कि नक्सली पाठशाला में बच्चों का माइंड वॉश करने के लिए बड़े नक्सली लीडरों का व्याख्यान शुरू करवाया गया। वे यहां अपनी विचारधारा बच्चों और युवाओं को बताते थे। इस दौरान माइंड वॉश के लिए पुलिस, बन विभाग और सरकार की ओर से स्थानीय लोगों पर अत्याचार की कहानी भी बच्चों को बताते थे और उनका माइंड वॉश कर अपने संगठन से जोड़ते थे।
सुधाकर नक्सलियों के संगठन में किस पद पर था और उसकी क्या भूमिका थी?
सुधाकर नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी (CC) का सदस्य और दंडकारण्य क्षेत्र का एजुकेशन हेड था। उसकी मुख्य भूमिका बच्चों और युवाओं का माइंड वॉश करके उन्हें नक्सली विचारधारा की ओर मोड़ना था।
नक्सली शिक्षा केंद्रों में बच्चों को किस तरह की शिक्षा दी जाती थी?
नक्सली शिक्षा केंद्रों में सुधाकर द्वारा तैयार किया गया पाठ्यक्रम पढ़ाया जाता था, जिसमें बच्चों को बेसिक शिक्षा के साथ हिंसा और नक्सलवाद से जुड़ी विचारधारा सिखाई जाती थी। उदाहरण के लिए, 'अ' से 'असलहा' और 'व' से 'बंदूक' जैसे शब्दों का प्रयोग होता था।
बच्चों और युवाओं का माइंड वॉश करने के लिए सुधाकर ने कौन-कौन से तरीके अपनाए?
सुधाकर ने नक्सली पाठशालाओं में बड़े नक्सली नेताओं के व्याख्यान शुरू करवाए, जिनमें बच्चों को सरकार, पुलिस और वन विभाग द्वारा कथित अत्याचारों की कहानियाँ सुनाई जाती थीं। इससे उनका माइंड वॉश कर उन्हें नक्सली संगठन में शामिल किया जाता था।