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MP News- इंदौर कलेक्टर में लोगों को दिया आश्वासन इंदौर कलेक्टर ने अयोध्यापुरी के सदस्यों को किया आश्वस्त, सभी की आपत्तियां सुनी जाएगी, संस्था के चार सदस्य भी कमेटी में होंगे शामिल
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6/3/23, 3:43 PM (अपडेटेड 6/3/23, 9:18 PM)

संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया दीपक मद्दा और सुरेंद्र संघवी के दखल वाली अयोध्यापुरी कॉलोनी के सदस्यों की जांच को लेकर चल रही उठापठक पर कलेक्टर डॉ. इलैया राजाटी ने साफ कर दिया है कि इसमें सभी की आपत्तियां लगातार सुनी जाएगी। कलेक्टर ने रेसीडेंसी में सदस्यों के साथ हुई बैठक में कहा कि चिंता करने की जरूरत नहीं है, इसमें सहकारिता नियमों के तहत सभी की बात सुनी जाएगी और किसी भी पात्र सदस्य की सदस्यता खत्म नहीं होगी। सदस्यों की बात सुनने के लिए जांच कमेटी में संस्था के चार सदस्यों को भी रखा जाएगा जो खुद संस्था ही तय करेगी। हम छंटनी कर सूची तब तक जारी करते रहेंगे जब तक यह शुद्ध नहीं हो। किसी गलत को प्लॉट देंगे नहीं और किसी पात्र को नुकसान होने देंगे नहीं। बैठक में बीजेपी नगराध्यक्ष गौरव रणदिवे भी मौजूद थे। यह भी कहा गया श्री महालक्ष्मी नगर की सदस्यता सूची के लिए भी वह चार सदस्य के नाम बता दें, तो उनके साथ ही कमेटी मिलकर सदस्यता सूची को देखेगी। बैठक में ढाई सौ से ज्यादा सदस्य उपस्थित थे।


इनको नहीं देंगे प्लाट


कलेक्टर ने साफ कहा कि पहले तो सभी पात्र सदस्यों को जमीन मिलना चाहिए, इसलिए एक ही घर में पति और पत्नी और नाबालिग के नाम केवल एक ही प्लाट हो सकता है। बालिग संतान नियम के तहत अलग परिवार में आता है और वह प्लाट का हकदार बनता है। लेकिन कलेक्टर ने साफ किया कि सदस्यता सूची शुद्ध होना चाहिए, वरीयता क्रम में बीच में आने वाले और नाम काटकर जोड़े गए लोगों को पात्र नहीं मानेंगे, उन्हें वरीयता क्रम में पीछे ही रखा जाएगा। पहले सभी पात्र सदस्यों को जमीन मिले यही लक्ष्य होगा। जिन्होंने संस्था की बड़ी जमीन खरीद ली है, उनकी रजिस्ट्री शून्य कराकर संस्था को देंगे ताकि वह पात्र लोगों को प्लाट दे सकें।


कॉलोनी नियमितीकरण से सदस्यता का कोई वास्ता नहीं- कलेक्टर


कलेक्टर ने द सूत्र के सवाल पर कि अयोध्यापुरी का नियमितीकरण अटका हुआ है, पर कहा कि इससे सदस्यता का कोई लेना-देना नहीं है, वह अलग प्रक्रिया है। सिम्पलेक्स कंपनी द्वारा ही निगम में आपत्ति लगाई गई है, इस पर कलेक्टर ने कहा कि यह गलत है, उन्हें जमीन ही गलत बिकी है तो, रजिस्ट्री शून्य हो जाएगी तो उनका कोई दावा ही नहीं बनता है। जहां भी इस तरह संस्था की जमीन गलत बिकी है, हम रजिस्ट्री शून्य करने का केस लगा रहे हैं और नामांतरण स्तर पर भी देखेंगे कि संस्था की जमीन किसी के नाम गलत तो नहीं गई है, वह देखेंगे कि रिवेन्यू कोर्ट के माध्यम से किस तरह संस्था के नाम वापस हो सकती है। 


इनके पास है संस्था की करोड़ों की जमीन की रजिस्ट्री


अयोध्यपुरी में केवल संघवी और मद्दा की कंपनी सिम्पलेक्स मेगा फायनेंस ने ही यहां चार एकड़ जमीन नहीं खरीद रखी है, इसके साथ ही केएस ऑयल कंपनी आशीष पिता रसनिध गुप्ता ने करीब 14 एकड़ जमीन, शैला पति अशोक कुमार जैन, अनीता पति महेंद्र कुमार, तरुण कुमार पिता शांति लाल जैन, भरत पिता राधेश्यामसारडा, मोनिका पति पराग, पारस पिता शांतिलाल जैन, विनोद पति नमीचंद, शांतिलाल पिता पूनमचंद जैन के पास सवा एकड़ जमीन, पुष्पेंद्र पिता लक्ष्मण सिंह ठाकुर तर्फे श्री डागरिया के पास 70 हजार वर्गफीट जमीन, पूजा पति आशीष डोसी, छवि पति साहिल डोसी, अमरजीत सिंह पिता मालक सिंह चावला के पास 23 हजार वर्गफीट जमीन है। इन सभी के पास रजिस्ट्री है। जिसमें से कुछ केस में रजिस्ट्री शून्य करने के सिविल वाद पेश कर दिए हैं, कुछ में बाकी है। 


इन लोगों ने खरीदी हुई है जमीन


मो. सूफइयान पिता मो. अशरफ रंगूनवाला रजत गृह निर्माण संस्था के पास, हरीश तोलानी तर्फे सन्नी को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी लिमिटेड के पास 70 हजार वर्गफीट जमीन की रजिस्ट्री मौजूद है। इनमें भी शपथ पत्र देकर जमीन सरेंडर कराई गई है, लेकिन रजिस्ट्री अभी शून्य नहीं हुई है। बिना रजिस्ट्री शून्य हुए यह जमीन वापस सदस्यों के पास नहीं जाएगी।


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