20 साल बाद होंगे कॉलेज छात्र संघ चुनाव, शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने दिए संकेत

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने बयान देते हुए कहा है कि छात्र संगठनों की मांग पर सकारात्मक तरीके से सरकार विचार कर रही है, जल्द छात्रसंघ चुनाव पर निर्णय करेंगे।

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Deeksha Nandini Mehra
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एमपी में छात्र संघ चुनाव
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College Student Union Elections in MP: मध्यप्रदेश में छात्र संघ चुनाव नियमित अंतराल में आयोजित होते रहते हैं, लेकिन कई बार राजनीतिक और प्रशासनिक कारणों से इन चुनावों को स्थगित भी किया जाता है। इस साल चुनाव होने के संकेत उच्च शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने दिए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने बयान देते हुए कहा है कि छात्र संगठनों की मांग पर सकारात्मक तरीके से सरकार विचार कर रही है, जल्द छात्रसंघ चुनाव पर निर्णय करेंगे। इस शैक्षणिक सत्र में चुनाव की संभावना पर है। हालांकि चुनाव किस प्रणाली से होंगे यह मंत्री परमार ने स्पष्ट नहीं किया है। आइए अब जानते हैं छात्र संघ चुनाव कब से नहीं हुए, विवाद क्यों हैं और चुनाव को फिर से कराने के लिए कब कब आश्वासन मिला...। 

कब- कब हुए छात्रसंघ चुनाव

मध्यप्रदेश में कॉलेज छात्र संघ चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कई सालों से बंद हैं। इन चुनावों पर प्रतिबंध 2013 से लगाया गया था। प्रदेश में साल 1986- 87 में प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए थे। इस प्रतिबंध के तहत छात्र संघ चुनावों को स्थगित कर दिया गया और तब से राज्य में नियमित छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं। चुनाव बंद करने के पीछे तात्कालिक कारण छात्र राजनीति से जुड़े विवाद और हिंसा को रोकना था। 

क्यों लगा छात्रसंघ चुनाव पर बैन

प्रदेश के छात्र संघ चुनावों में हुई हिंसा और जानलेवा घटनाओं के चलते कॉलेजों में प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनावों को बंद करा दिया गया था। साल 2006 के छात्र संघ चुनाव के दौरान 62 वर्षीय हरभजन सिंह सभरवाल, माधव गवर्नमेंट कॉलेज, उज्जैन के प्रोफेसर की हत्या हो गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें कॉलेज यूनियन चुनावों की जिम्मेदारी सौंपी गई। तैयारियों से असंतुष्ट होकर उन्होंने इसे स्थगित कर दिया और इसके कारण अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नाराज छात्रों ने तत्काल चुनाव की मांग करते हुए उनके सहयोगियों और जिला प्रशासन के सामने उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। इस मामले में 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 

  • पार्टी की हुकूमत में चुनाव: जब किसी पार्टी की हुकूमत में छात्र संघ चुनाव होते हैं, तो विपक्षी पार्टियों के द्वारा विवाद की संभावना बढ़ जाती है। चुनाव प्रक्रिया के तरीके पर सवाल उठते हैं।

  • अभियान के दौरान विवाद: छात्र संघ चुनावों में प्रचार और अभियान के दौरान विवाद उठने की स्थिति भी बनती है, जैसे कि प्रतिद्वंद्वियों के बीच झड़प या नियमों का उल्लंघन।

मध्यप्रदेश में कॉलेज छात्र संघ चुनाव फिर से शुरू करने के कई बयान आए हैं, जिनमें प्रमुख निम्न हैं:

  • 2017 में घोषणा : जुलाई 2017 में, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि राज्य में छात्र संघ चुनाव फिर से शुरू किए जाएंगे। यह घोषणा छात्रों और युवाओं को राजनीति में भागीदारी देने के लिए की गई थी।
  • 2019 में घोषणा : दिसंबर 2019 में, मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने घोषणा की थी कि राज्य में छात्र संघ चुनाव 2020 से शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा था कि इससे छात्रों को नेतृत्व के गुण विकसित करने का मौका मिलेगा।
  • 2020 में स्थगन : मार्च 2020 में, कोविड-19 महामारी के कारण सभी शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हुईं। इसी कारण छात्र संघ चुनाव की प्रक्रिया को भी स्थगित कर दिया गया। इन घोषणाओं के बावजूद, छात्र संघ चुनाव नियमित रूप से नहीं हो सके हैं। राजनीतिक और प्रशासनिक कारणों से चुनाव स्थगित होते रहे हैं।

कैसे होता है अध्यक्ष का चुनाव

प्रत्यक्ष प्रणाली में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय का प्रत्येक विद्यार्थी अपने मन से अध्यक्ष का चुनाव करता है। अप्रत्यक्ष प्रणाली में विद्यार्थी क्लास का प्रतिनिधि चुनता है और वह प्रतिनिधि अध्यक्ष का चुनाव करता है। छात्रसंघ चुनाव में मारपीट और उपद्रव अधिक होता है। इसलिए कई सालों से प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव बंद हैं लेकिन एक बार फिर मध्य प्रदेश में छात्र संघ चुनाव कराए जाने की संभावना बढ़ गई है। 

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