देसी ब्रांडः कैसे फेविकोल ने सिर्फ 10 रुपए में बदल दी फर्नीचर इंडस्ट्री की किस्मत और बनाया 5 लाख करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य

फेविकोल की कहानी भारतीय जुगाड़ और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। 1959 में बलवंत पारेख और उनके भाई ने सस्ती और मजबूत सिंथेटिक गोंद बनाई। शुरुआती संघर्षों के बावजूद, फेविकोल ने अपने भरोसेमंद प्रचार-कारपेंटरों से संपर्क कर भारतीय बाजार में अपना स्थान मजबूत किया।

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Manish Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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Be इंडियन-Buy इंडियन: भारतीय देसी ब्रांड फेविकोल की कहानी भारतीय जुगाड़ और दृढ़ संकल्प की उत्कृष्ट मिसाल है। यह केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि आम भारतीयों की जिंदगी का वह हिस्सा बन गया है, जिसमें मजबूती और भरोसे का सबसे गहरा संबंध जुड़ गया है। फेविकोल की पूरी यात्रा, संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानी और साथ ही सभी जरूरी पहलुओं को आगे जानिए... 

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कैसे हुई फेविकोल की शुरुआत?

पचास के दशक के अंत की मुंबई के दो भाई बलवंत पारेख और सुशील पारेख छोटी फैक्ट्री चलाते थे। बलवंत पारेख ने वकालत भी पढ़ी लेकिन नौकरी नहीं मिली। उन्होंने अपना खर्च चलाने के लिए एक केमिकल फैक्ट्री में मामूली चपरासी का काम करने लगे थे। इसके बाद धीरे-धीरे छोटे स्वदेशी ट्रेडर बने, रंग-रोगन के लिए केमिकल बनाने लगे और यहीं से फेविकोल की नींव तैयार हुई।

1959 में, जब देश में अभी भी फर्नीचर बनाने के लिए जानवरों की हड्डी से बनी गोंद इस्तेमाल होती थी। यह महंगी, बदबूदार, जल्दी खराब होने वाली गोंद होती थी। इसी दौरान दोनों पारेख भाइयों ने एक सिंथेटिक व्हाइट ग्लू बनाया, जो आसानी से इस्तेमाल हो सके। बस, यहीं से 'फेविकोल' का जन्म हुआ।

फेविकोल बनाने वाली कंपनी पिडिलाइट की शुरुआत 1959 में बलवंतराय पारेख ने की थी, जब उन्होंने फेविकोल, लकड़ी के गोंद का किफायती विकल्प तैयार किया। इस छोटे से विचार से शुरू हुई डाईकेम इंडस्ट्रीज ने कई अधिग्रहणों के साथ अपने उत्पादों को विस्तार दिया और चिपकने वाले पदार्थ, निर्माण रसायन और कला सामग्रियों के क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी बन गई।

शुरुआती जंग, संघर्ष और ब्रांड की पहचान

शुरुआत आसान नहीं थी। नया प्रोडक्ट था, बाजार में प्रसिद्ध विदेशी ब्रांड मोवीकोल टक्कर दे रहे थे। समाज में फैली धारणाएं, कारपेंटरों की आदतें बदलना और खुदरा दुकानों की अपेक्षाएं सब कुछ चुनौतियों से भरा था।

बलवंत पारेख ने एकदम अलग रास्ता चुना। उन्होंने मार्केटिंग का रूढ़िवादी तरीका छोड़ दिया। दुकान से नहीं, सीधे कारीगर और बढ़ई (कारपेंटर) से संपर्क किया। वे फर्नीचर वर्कशॉप में जाकर प्रोडक्ट के डेमो देते थे। वे खुद सिखाते कि फेविकोल से फर्नीचर और बेहतर बनेगा। धीरे-धीरे ‘फेविकोल’ पर भरोसा बढ़ा और देशभर के कारपेंटर इसके ब्रांड एंबेसडर बन गए।

ब्रांड फेविकोल की सफलता की कहानी

1970 के दशक तक फेविकोल ने भारत में गोंद/एडहेसिव्स का पर्याय बनना शुरू कर दिया था। मार्केटिंग में क्रांतिस्वरूप आइडियाज जैसे – ‘फेविकोल का मजबूत जोड़ है, टूटेगा नहीं’ - ने देश-विदेश में ब्रांड पहचान को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। एक ओर जहां प्रतिस्पर्धी खोखले दावे करते थे, फेविकोल ने असली उपभोक्ताओं को साधा, जिनकी जरूरत थी - मजबूती, भरोसा और आसान इस्तेमाल।

कंपनी ने इस तरह से पाई सफलता...

- लगातार बेहतर प्रोडक्ट इनोवेशन - मरीन, हाई-परफॉर्मेंस, स्पेशल एडहेसिव्स
- छोटे दुकानदार से लेकर बड़ी इंडस्ट्री, हर जगह पहुंच फैलाई
- देश के सुदूर गांवों से लेकर शहरों तक फैला विशाल डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क, आज 65,000+ वितरक
- फेविकोल के विज्ञापन: यादगार पंचलाइंस (‘फेविकोल का जोड़’, ‘टूटेगा नहीं’), ह्यूमर व इमोशन से जुड़े सबसे इनोवेटिव कैंपेन
इसके साथ ही 90 के दशक में कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट हुई। इसके बाद M-Seal, Fevikwik, Dr. Fixit जैसे ब्रांड जुड़ते गए और आज 70% से ज्यादा मार्केट में फेविकोल नंबर-1 बना हुआ है।

आज बाजार में फेविकोल की स्थिति

आज 2025 में फेविकोल भारतीय बाजार में गोंद उत्पादों में 70% मार्केट शेयर के साथ निर्विवाद लीडर है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि 54 देशों तक फेविकोल उत्पादों की पहुंच है। कंपनी की ब्रांड वैल्यू 650 अरब रुपए से ज्यादा है।

फेविकोल ने रिटेल मार्केट के साथ-साथ इंडस्ट्रियल यूज के लिए भी कई समाधान दिए। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कंपनी की पहुंच मजबूत है और लगभग हर फर्नीचर वर्कशॉप, स्कूल, आर्ट/क्राफ्ट शॉप व तमाम निर्माण स्थलों में फेविकोल का इस्तेमाल होता है।

फेविकोल की मार्केट पॉजिशन

- 70% बाजार हिस्सेदारी (2025 तक)
- भारत की सबसे बड़ी एडहेसिव कंपनी - Pidilite Industries के अंतर्गत
- प्रमुख प्रतिद्वंदी: कम ही बड़े, कुछ छोटे लोकल ब्रांड्स
- लगातार इनोवेशन: इंडस्ट्री व कंज्यूमर दोनो सेगमेंट के लिए नए प्रोडक्ट्स, जैसे Fevicol Marine, Fevicol Hi-per, Hi-per Star आदि
- मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन और विपणन तंत्र, 50,000+ डीलर पॉइंट्स

फेविकोल ब्रांड का मूल मंत्र

फेविकोल की कामयाबी के पीछे एकमात्र सबसे बड़ा मंत्र - “मजबूत जोड़, टूटेगा नहीं” - यानि सिर्फ सामान को ही नहीं, लोगों के दिलों को भी जोड़ना। इस ब्रांड ने रिश्तों की अहमियत को अपनी पहचान में ढाला।

इनोवेशन और विश्वास - यही दो मजबूत स्तम्भ जिनको फेविकोल कभी नहीं छोड़ता। ग्राहकों की जरूरत को समझना, मार्केट के हिसाब से नई तकनीक लाना, और हर बार ईमानदारी से गुणवत्ता देना।

इस कहानी से क्या सीख सकते हैं?

- धैर्य और साहस से कोई भी परिस्थिति बदली जा सकती है - बलवंत पारेख जी की तरह चपरासी से अरबपति तक पहुंचना
- नया सोचिए, पुरानी राह छोड़कर अगर यूनिक रास्ता अपनाएंगे, तो सफलता तय है (Carpenters की डायरेक्ट मार्केटिंग)
- ग्राहकों की जरूरत समझना और लगातार प्रोडक्ट इनोवेशन, ब्रांड को दीर्घकालीन बनाता है
- ईमानदारी और भरोसेमंद ब्रांडिंग - 'फेविकोल का जोड़ टूटा नहीं', यही असल USP है
- विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद और मेहनत न छोड़ें - यही असली फेविकोल वाला मजबूत जोड़ है!

यह कहानी बताती है कि भारतीय जुगाड़, नवाचार और दृढ़ संकल्प से कोई भी साधारण व्यक्ति, आपको असाधारण बना सकता है। फेविकोल सिर्फ गोंद नहीं, बल्कि करोड़ों सपनों और हौसलों को साथ जोड़े रखने वाली मिसाल है।

स्रोत:

https://www.pidilite.com/about/our-founder
https://www.pidilite.com/
Research Articles on fevicol Innovation and Market Trends
Industry Insights from Leading Chemical Production Experts

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