GANDHINAGAR. केंद्र सरकार देवभूमि में पश्चिम भारत का सबसे बड़ा आध्यात्मिक केंद्र बनाने जा रही है। यहां देवभूमि कॉरिडोर बनाने की तैयारी है। इस धार्मिक प्रोजेक्ट से न सिर्फ द्वारका की सूरत बदलेगी, बल्कि शिवराजपुर समुद्री इलाके का विकास भी होगा। इससे पहले वाराणसी में काशी विश्वनाथ, उज्जैन में महाकाल लोक और मथुरा में मथुरा कॉरिडोर का निर्माण किया जा चुका है।
महाकाल लोक की तर्ज पर होगा निर्माण
महाकाल लोक की तर्ज पर द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर से लेकर बेट द्वारका और ज्योतिर्लिंग नागेश्वर तक सभी मंदिरों को जोड़ा जाएगा। इनमें द्वारकाधीश मंदिर, रुक्मिणी-बलराम मंदिर, सांवलियाजी मंदिर, गोवर्धननाथ मंदिर, महाप्रभु बैठक, वासुदेव, हनुमान मंदिर से लेकर नारायण मंदिर तक शामिल हैं।
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870 करोड़ रुपए से बनेगा सिग्नेचर ब्रिज
ओखा से बेट द्वारका को जोड़ने वाला सिग्नेचर ब्रिज तैयार हो रहा है। 2320 मीटर लंबे इस फोर लेन ब्रिज को देश का सबसे लंबा केबल स्टे ब्रिज कहा जाता है। इस पर 870 करोड़ रुपए खर्च आ रहा है।
ओखा बीच की सूरत बदलनी जाएगी
द्वारका-पोरबंदर-सोमनाथ लिंक प्रोजेक्ट भी शुरू होगा। पोरबंदर सुदामा की जन्मस्थली है, जबकि सोमनाथ के पास श्रीकृष्ण ने देह त्यागी थी। द्वारका से 13 किमी दूर शिवराजपुर बीच व 23 किमी दूर ओखा बीच की सूरत बदलने का प्लान है। जन्माष्टमी (6-7 सितंबर) से द्वारका देवभूमि कॉरिडोर का काम शुरू होगा।
'काशी विश्वनाथ कॉरिडोर' से बढ़ी राज्य की कमाई
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पर्यटकों की पहली पसंद बनकर उभर रहा है। यह कॉरिडोर बनने के बाद से बनारस में टूरिज्म इंडस्ट्री ने काफी ऊंची छलांग लगाई है। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन (को बढ़ावा मिला है, बल्कि कई अन्य सेक्टरों ने उड़ान भरी है। कोरोना की मंदी में सुस्त पड़े इस सेक्टर को तकरीबन पांच गुना का इजाफा हुआ है।
हर माह 20 से 30 लाख पर्यटक पहुंच रहे हैं
जानकार कहते हैं कि काशी कॉरिडोर टूरिज्म इंडस्ट्री के लिए जैकपॉट साबित हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि काशी में हर महीने तकरीबन 20 से 30 लाख पर्यटक पहुंच रहे हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद से पूरे देश से लोग यहां आ रहे हैं।