सुप्रीम कोर्ट पहुंचा संभल मस्जिद सर्वे मामला, शुक्रवार को होगी सुनवाई

संभल मस्जिद का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मस्जिद कमेटी ने सर्वे के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश की बेंच शुक्रवार को सुनवाई करेगी।

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Vikram Jain
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Supreme Court will hear UP Sambhal Jama Masjid survey case
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उत्तर प्रदेश के संभल की मस्जिद का मामला ( Sambhal Masjid controversy ) अब सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) तक पहुंच गया है। मस्जिद कमेटी ने निचली अदालत के सर्वे के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। मस्जिद कमेटी ने मांग की गई है कि निचली अदालत के फैसले पर तुरंत रोक लगाई जाए। अब इस मामले में शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश की बेंच सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे इस मामले में एक पक्ष शाही जामा मस्जिद का प्रबंधन है और दूसरा पक्ष हरिशंकर जैन का है, जो हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इधर, मुस्लिम पक्ष ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना से मामले में जल्द सुनवाई की मांग की है। कोर्ट से कहा गया है कि ये असाधारण मामला है इसलिए अदालत को असाधारण कदम उठाना चाहिए। साथ ही मामले को लेकर रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में एसआईटी जांच की मांग की गई है। याचिका में आरोप लगाया है कि पुलिस ने बर्बरता की है।

जानें क्या है पूरा विवाद?

हिंदू पक्ष का दावा है कि 1526 में मुगल शासक बाबर ने एक हिंदू मंदिर को तोड़कर शाही जामा मस्जिद का निर्माण किया था। हिंदू पक्ष का कहना है कि यह स्थान मूल रूप से हरिहर मंदिर का था, और इसलिए मस्जिद का मालिकाना हक हिंदू पक्ष को मिलना चाहिए।

इस पर हरि शंकर जैन की याचिका निचली अदालत में दाखिल की गई थी, जिसके बाद अदालत ने सर्वे करने के आदेश दिए थे। सर्वे के दौरान विरोध और हिंसक प्रदर्शन हुआ और प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। इसके बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया।

मुस्लिम पक्ष का दावा

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि निचली अदालत ने बिना उनका पक्ष सुने ही फैसला सुनाया। इसके अलावा, उनका कहना है कि शाही जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है, जिसे प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत 22 दिसंबर 1920 को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया था। इसके अलावा, यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारकों की सूची में भी शामिल है। मुस्लिम पक्ष का यह भी कहना है कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत 1947 से पहले बने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की जानी चाहिए।

इस बीच, यह मामला ज्ञानवापी और मथुरा के मंदिर-मस्जिद विवादों से संबंधित है, जिसमें अदालत ने पहले भी याचिकाएं स्वीकार की हैं, और अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला करता है।

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