शिवराज सिंह राजपूत, Sehore. मप्र में गौ संरक्षण के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। राज्य सरकार की गौ सेवा ( gau seva ) के नाम पर केवल बिल्डिंग खड़ी कर रही है जिसमें उनके चहेते मालामाल हो रहे हैं जबकि बड़ी संख्या में गौवंश लावारिस हालत ( unclaimed condition ) में सड़कों पर घूम रहा है। राज्य सरकार गौ संरक्षण को लेकर कितना गंभीर है इसकी एक बानगी सामने आई है, जहां भरभरम धनराशि से गौशाला तो बनाई गई लेकिन न तो बिजली की व्यवस्था की गई न अन्य बुनियादी सुविधाएं। ऐसे में सिर्फ वहां ताला लटक रहा है दूसरी ओर जब इस लापरवाही को लेकर हमारे रिपोर्टर ने जनपद सीओ से इस संबंध में इस बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें चार्ज संमाले हुए सिर्फ 6 महीने हुए हैं, ऐसा कहकर अपनी जिम्मेदारी से पाल झाड़ लिया।
सीएम के बेटे सहित कई जनप्रतिनिधियों ने किया था शुभारंभ
मामला सीहोर जिले के इछावर तहलील के ग्राम आमलारामजीपुरा की भोलेनाथ गौशाला का है। यहां 37 लाख 85 हजार की लागत से गौशाला का निर्माण किया गया था जिसका शुभारंभ फरवरी 2021 में कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में किया गया लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी यहां कोई गोवंश नहीं हैं। बस केवल चारों ओर ताले लटक रहे हैं। गौ संरक्षण मुहिम के तहत सरकार द्वारा लाखों की लागत से गौशालाओं का निर्माण ब्लाक की विभिन्न पंचायतों में किया गया हैं जिसमें पंचायत के जिम्मेदारों की कई लापरवाहियां भी सामने आ रही हैं।
37 लाख की गौशाला धूल फांक रही
आलम यह है कि ब्लाक के तहत आने वाली ग्राम पंचायत आमलारामजीपुरा में 37 लाख 85 हजार की लागत से गौशाला का निर्माण कराया गया जिसका फीता क्षेत्रीय सांसद रमाकांत भार्गव तथा स्थानीय विधायक करण सिंह वर्मा, मुख्यमंत्री के बेटे कार्तिकेय चौहान सहित कई जनप्रतिनिधियों व नेताओं द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर काटा गया, परंतु तब से लेकर आज तक गौशाला में ताला ही डाला हुआ है। परिणाम स्वरूप क्षेत्र का गोवंश दर-दर भटक रहा है तथा आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रहा है, परंतु इस ओर कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा है।
50 हजार के बोर के लिए पैसे नहीं
गोवंश संरक्षण से लेकर युवाओं को रोजगार तथा स्थानीय ग्रामीणों की आय बढ़ाने तक की योजनाएं शामिल थी, परंतु पंचायत के जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते यह सब विषय अधर में पढ़े हुए हैं। ग्राम आमलारामजीपुरा गौशाला के दायित्ववान पंचायत सचिव से बात करने पर पता चला कि गोशाला में सारी व्यवस्थाएं हैं सिर्फ जल व्यवस्था ना होने के गौशाला नहीं खोली जा रही। पंचायत के पास गौशाला में जल व्यवस्था के लिए बोर लगवाने का फंड नहीं है। जब 37 लाख की लागत से गौशाला बन सकती है तो 50 हजार की लागत से एक बोर नहीं लगवाया जा सकता।
जनपद सीओ का गैर जिम्मेदार बयान
गौशाला की बदहाली को लेकर जब जनपद सीओ राजधर पटेल से हमारे रिपोर्टर से बात की तो उन्होंने अत्यंत गैर जिम्मेदाराना बयान देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना था कि उन्हें चार्ज संभाले हुए सिर्फ 6 महीने हुए हैं। वास्तव में 6 महीने का समय भी कम नहीं होता है यदि कुछ करने का संकल्प हो। एक तैयार खड़ी गौशाला में पानी और बिजली की व्यवस्था करने में कितना समय चाहिए यह विचार करने वाली बात है। इस अव्यवस्था का शिकार बेजुबान गौवंश झेल रहा है।