राजस्थान चुनाव में संतों के हवाले 6 विधानसभा सीट का चुनाव, बीजेपी से 4 तो कांग्रेस में संत की बहू समेत 2 प्रत्याशी

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Chandresh Sharma
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राजस्थान चुनाव में संतों के हवाले 6 विधानसभा सीट का चुनाव, बीजेपी से 4 तो कांग्रेस में संत की बहू समेत 2 प्रत्याशी

JAIPUR. राजनीति में संतों और धर्माचार्यों का दखल नई बात नहीं है। बीते समय में साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती, योगी आदित्यनाथ और साध्वी प्रज्ञा जैसे अनेक भगवाधारी राजनीति की पारी खेलते आए और सीएम की कुर्सी तक जा पहुंचे। राजस्थान में इस मर्तबा के विधानसभा चुनाव में भी भगवा का दखल है। बीजेपी ने इस बार 4 सीटों पर संतों को अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने 1 संत को टिकट दिया वहीं एक संत की बहू को चुनाव मैदान में उतारा है। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि बाकी की सीटों पर कांग्रेस भजन गायक प्रकाश माली और साध्वी अनादी सरस्वती को भी प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार सकती है।

आचार्य बालमुकुंद

जयपुर की हवामहल सीट से इस मर्तबा बीजेपी ने आचार्य बालमुकुंद को उम्मीदवार डिक्लेयर किया है। वे जयपुर के हाथोज धाम के महंत हैं। बीते कुछ सालों से हिंदुओं पर हुए अत्याचार के मामलों में सड़कों पर आंदोलन करने उतर चुके हैं। बीजेपी ने पहली बार यहां से इन्हें प्रत्याशी बनाया है।

बाबा बालकनाथ

अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ को बीजेपी ने तिजारा विधानसभा सीट को जिताने के लिए प्रत्याशी बनाया है। बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय के महंत हैं। हरियाणा के रोहतक के मस्तनाथ मठ के वे मुख्य महंत हैं। लोकसभा चुनाव में उन्हें अलवर से चुनाव मैदान में उतारा था जहां से वे सांसद निर्वाचित हुए थे। बीजेपी की नई स्ट्रेटजी के तहत उन्हें पूरे अलवर जिले की सीटों को प्रभावित करने तिजारा से उतार दिया गया।

प्रतापपुरी महाराज

राजस्थान की राजनीति में प्रतापपुरी महाराज का नाम नया नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने पोखरण से चुनाव मैदान में उतारा था। जहां वे कांग्रेस के सालेह मोहम्मद से केवल 872 वोटों से चुनाव हारे थे। बीजेपी ने इस बार भी प्रतापपुरी महाराज पर ही दांव लगाया है।

ओटाराम देवासी

सिरोही विधानसभा सीट से बीजेपी ने मुंडारा माता मंदिर के महंत ओटाराम देवासी को प्रत्याशी घोषित किया है। वे वसुंधरा सरकार में मंत्री भी रहे थे। ओटाराम देवासी पहले पुलिस कर्मी थे, फिर आध्यात्म की राह चुनते हुए मां चामुंडा के भक्त बने। हालांकि वे राजनीति में पुराना चेहरा हैं।

सालेह मोहम्मद

बात कांग्रेस की हो तो कांग्रेस भी संतों को टिकट देने में पीछे नहीं है। कांग्रेस ने पोखरण की सीट से एक बार फिर सालेह मोहम्मद पर भरोसा जताया है। वे मुस्लिम धर्मगुरु गाजी फकीर के बेटे हैं। गाजी फकीर की मृत्यु के बाद सालेह मोहम्मद को उनका वारिस घोषित किया गया है। वे पिछला चुनाव 872 वोटों से जीते थे।

संत की बहू अर्चना शर्मा

कांग्रेस ने जयपुर की मालवीय नगर सीट पर डॉ अर्चना शर्मा को कैंडिडेट डिक्लेयर किया है। अर्चना रामजन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी रहे संत धर्मेंद्र आचार्य की बहू हैं। विराटनगर में आचार्य धर्मेंद्र का मठ है। उनके निधन के बाद बेटे सोमेंद्र शर्मा मठ के उत्तराधिकारी बने हैं। जिनकी धर्मपत्नी अर्चना शर्मा चुनाव मैदान में हैं। वे दो मर्तबा चुनाव हार चुकी हैं फिर भी कांग्रेस ने उन्हीं पर भरोसा जताया है।


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