संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में 22 सितंबर को नो कार डे मनाया जा रहा है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव के अभियान पर इसमें सभी संगठन, सरकारी विभाग शामिल हो गए हैं। महापौर, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर, संभागायुक्त से लेकर सरकारी विभागों के अधिकारी कार का उपयोग नहीं करेंगे। इनके अलावा निगम, प्रशासन और अन्य विभागों के कर्मचारी भी कार से दूरी रखेंगे। आखिर इसकी जरूरत क्यों है? एयर क्वालिटी में हाल ही में इंदौर को नंबर वन का तमगा मिला है, इसकी जरूरत एयर क्वालिटी में सुधार के लिए नहीं बल्कि खस्ताहाल ट्रैफिक में सुधार के लिए है।
इंदौर सबसे ज्यादा वाहन घनत्व वाला शहर
इंदौर देश में सबसे ज्यादा वाहन घनत्व वाला शहर है। यहां 40 लाख की जनसंख्या पर 20 लाख वाहन है, जिसमें 12 लाख टू व्हीलर और 8 लाख 4 पहिया और अन्य वाहन हैं। यानी हर 2 व्यक्ति पर एक वाहन मौजूद है।
ट्रैफिक जाम में सिग्नल पर खड़े वाहनों से फैलता है धुआं
ज्यादा वाहनों के चलते इंदौर में खासकर सुबह 10 से 12 बजे और शाम 6 से 9 बजे के बीच ट्रैफिक जाम के हालात होते हैं। खजराना चौराहा ही 3 सिग्नल से कम में पार नहीं होता, यानी करीब 3 मिनट तक वाहन स्टार्ट रहता है और धुआं छोड़ता है। यही हाल पलासिया चौराहा, इंडस्ट्री हाउस चौराहा, एलआईजी चौराहा जैसे कई अन्य चौराहों पर भी होते हैं।
1 घंटे में मुश्किल से 17 किलोमीटर तय करता है वाहन
एक स्टडी के अनुसार, अभी शहर की सड़कों पर बमुश्किल 17 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल पा रही हैं, जबकि दिल्ली-चेन्नई, मुंबई में ये 20 से 25 किलोमीटर के आसपास है। ऐसे में वाहन का सड़कों पर रहने का औसत समय बढ़ जाता है और यही ट्रैफिक जाम और वायु प्रदूषण का कारण बनता है।
सिर्फ 20 फीसदी लोग करते हैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग
इंदौर में फिलहाल सिर्फ 20% लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर रहे हैं। 42% लोगों के पास दोपहिया और 11% के पास चार पहिया वाहन हैं। कुल 53% लोगों के पास निजी वाहन हैं और वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग नहीं करते हैं। इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि इंदौर में यात्री को अंतिम स्टॉप तक लोकल परिवहन की सुविधा नहीं है, यानी उसे ऑफिस या घर जहां उतरना है, वहां तक सीधा लोकल परिवहन नहीं मिलता है, उसे कई बार वाहन बदलने होंगे, ऐसे में निजी वाहन उसे ज्यादा सुविधाजनक रहता है।
इंदौर में करीब 4 लाख कार रजिस्टर्ड
एक रिसर्च के मुताबिक पेट्रोल-डीजल कार हर साल करीब 4.6 मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) उत्सर्जित करती है। शहर में करीब 4 लाख कारें रजिस्टर्ड हैं। इस लिहाज से 18.4 लाख मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जित होती है।
इंदौर स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में नंबर-1
देश में 137 शहर ऐसे हैं जहां वायु गुणवत्ता का स्तर ठीक नहीं है। इसे सुधारने के लिए इन शहरों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस साल स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में इंदौर नंबर-1 आया, लेकिन ये पुरस्कार शहर को इसे सुधारने के प्रयासों के लिए दिया गया। ये स्थिति बनी रहे, इसलिए ये प्रयास नगर निगम कर रहा है। कार में ईंधन के जलने से हर साल करीब 21 हजार लीटर पानी बनता है, जो बेकार चला जाता है। इसी तरह हर साल इन वाहनों से निकलने वाली गैस पर्यावरण को दूषित कर रही हैं।
पुलिस कमिश्नर-कलेक्टर सहित सभी अधिकारी साइकिल से आएंगे
महापौर पुष्यमित्र भार्गव, कलेक्टर इलैया राजा टी., यातायात विभाग के डीसीपी मनीष अग्रवाल और उनकी टीम ने तैयारी कर ली है। अपनी गाड़ियां रखकर सभी अफसर साइकिल से ऑफिस पहुंचेंगे। अपर कलेक्टर रोशन राय सहित कई एसडीएम, तहसीलदार साइकिल से ऑफिस आएंगे। नगर निगम के सभी अपर आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों-कर्मचारी चार पहिया वाहनों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। विकास चौहान रोजाना देवास से इंदौर आते हैं। इसके लिए वे रोज ही कार का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने भी संकल्प लिया है कि वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करेंगे।
इंदौर में 400 बसों से पौने 2 लाख सफर करते हैं
इंदौर का सिटी बस ऑफिस 400 लोकल बसों का संचालन हर दिन करता है, जिससे करीब पौने 2 लाख लोग सफर करते हैं। इसमें 40 इलेक्ट्रिकल बसें हैं, 180 सीएनजी बसें हैं और बाकी 180 बसें डीजल से चलती हैं। नगर निगम के 100 साइकल स्टैंड हैं जहां my bike उपलब्ध रहेगी। साइकिल के लिए 500 रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क लगता है, लेकिन 22 सितंबर को सिर्फ 100 रुपए लिए जाएंगे। 10 रुपए में 10 घंटे साइकिल चला सकेंगे। 90 रुपए डिपॉजिट रहेंगे।
कार डे पर लोकल साधन रहेंगे भरपूर
राजीव गांधी प्रतिमा से निपानिया तक आई बस से आना-जाना कर सकते हैं। सुबह 6.30 बजे से रात 10 बजे तक आई बस आसानी से उपलब्ध है। हर 3 से 4 मिनट पर बस मिल जाती है। 37 रूट पर करीब 400 सिटी बसें संचालित की जा रही हैं। 15 से 20 मिनट में बस उपलब्ध हो जाती हैं।
इस कार से डे पता चलेगा कितने और लोकल परिवहन वाहन चाहिए
महापौर भार्गव ने बताया कि सफाई में नंबर वन होने के साथ वायु गुणवत्ता के मामले में भी इंदौर ने पहली रैंकिंग हासिल की है। ये आवश्यक है कि हम सभी पर्यावरण सरंक्षण को प्रदूषित होने से बचाएं। इस अभियान से हमे यह पत चल सकेगा कि यदि कार कम करनी है तो और कितने लोकल परिवहन बढ़ाने होंगे, इसे एक स्टडी के तौर पर भी ले रहे हैं। कलेक्टर इंदौर डॉ. इलैयाराज टी ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से मैं भी कार का उपयोग नहीं करूंगा। साइकिल से ऑफिस जाऊंगा। पर्यावरण को बचाने की दिशा में ये सराहनीय कदम है। मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि पर्यावरण संरक्षण में मदद करें और नो-कार डे मनाएं।
एयर क्वालिटी में बहुत फर्क नहीं, इंदौर कभी रेड अलर्ट पर गया ही नहीं
इंदौर की एयर क्वालिटी की बात करें तो नो कार डे से कोई एयर क्वालिटी में बहुत फर्क नहीं होने वाला है। कारण है कि इस साल इंदौर वैसे ही कभी रेड अलर्ट पर नहीं गया। बीते 3 माह जुलाई, अगस्त और अभी सितंबर की बात करें तो अभी तक 83 दिनों में से 32 बार ये केवल यलो पर पहुंचा है तो मध्यम स्तर का माना जाता है, बाकी 49 दिन ये ग्रीन रहा है, जो संतोषजनक माना जाता है।
ये रहता है एयर क्वालिटी इंडेक्स का असर
- 0 से 50- अच्छा
- 51-100- संतोषजनक- संवेदनशील लोगों को हल्की सांस में समस्या लग सकती है
- 101-200- मध्यम- अस्थमा और लंग्स समस्या वालों को सांस में समस्या
- 201-300- खराब- अधिकांश लोगों को सांस में समस्या
- 301-400- बहुत खराब- सांस संबंधी बीमारियां
- 401-500- गंभीर- स्वस्थ लोगों को भी समस्या
इंदौर में इस तरह रहा एयर क्वालिटी
- जून के उपलब्ध 18 दिनों के आंकड़ों में एयर क्वालिटी इंडेक्स केवल 5 बार 100 के ऊपर गया अधिकतम 106 हुआ।
- जुलाई के 31 दिन में केवल 9 बार ये 100 के ऊपर गया, इसमें भी अधिकतम 120 हुआ।
- अगस्त के 31 दिन में 14 दिन ये इंडेक्स 100 के पार हुआ, इसमें अधिकतम 145 तक गया।
- सितंबर के 20 दिन में 9 बार ये 100 के पार गया, इसमें अधिकतम 145 1 सितंबर को गया इसके बाद ये लगातार कम हुआ। 8 सितंबर और 17 सितंबर को ये 50 के भी नीचे रहा और अच्छी एयर क्वालिटी रही।