राजस्थान में किसानों की कर्ज माफी पर गहलोत का बड़ा दांव; बनेगा किसान ऋण राहत आयोग, जानें कब होगा ये बिल पारित

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Jitendra Shrivastava
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राजस्थान में किसानों की कर्ज माफी पर गहलोत का बड़ा दांव; बनेगा किसान ऋण राहत आयोग, जानें कब होगा ये बिल पारित

JAIPUR. दस दिन में किसानों की कर्ज माफी का वादा निभाने में विफलता के आरोप झेल रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस मामले में एक बड़ा दांव खेलने जा रहे हैं। वे राजस्थान में किसान ऋण राहत आयोग स्थापित करने जा रहे हैं। उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनने वाले इस पांच सदस्यीय आयोग को गठित करने का बिल सरकार विधानसभा में पेश कर चुकी है और दो अगस्त को जब विधानसभा की बैठक फिर से होगी, उस दिन यह बिल सम्भवतः पारित करा लिया जाएगा।



क्या है इस बिल में



राजस्थान राज्य कृषक ऋण राहत आयोग नाम के इस बिल में कहा गया है कि विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं या अन्य कारणों से किसान संकट में पड़ जाते हैं और साहूकारों या अन्य वित्तीय संस्थाओं से लिया गया कर्ज उनके लिए परेशानी का कारण बन जाता है। यह आयेाग ऐसे ही संकटग्रस्त किसानों की मदद करेगा। उन्हें साहूकारों व वित्तीय संस्थाओं से लिए गए कर्ज से राहत दिलाएगा। राहत पाने के लिए किसान को आयोग में निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होगा। आयोग किसान और ऋण देने वाले साहूकार या वित्तीय संस्था दोनों पक्षों को सुनेगा और स्थिति को देखते हुए किसान को कर्ज से सम्पूर्ण राहत, किश्तों में भुगतान या कर्ज की रीशेडयूलिंग जैसे उपायों के जरिए राहत पहुंचाएगा। आयोग द्वारा दिए गए निर्णय को किसी कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा यह आयोग किसी क्षेत्र या फसल को भी संकटग्रस्त घोषित करने की सिफारिश सरकार को कर सकेगा।



रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनेगा आयोग



यह आयेाग हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनेगा, जिसका नाम सरकार तय करेगी। इसके अलावा आयोग में एक वरिष्ठ रिटायर्ड आईएएस अधिकारी, जिला व सेशन न्यायालय में जज रह चुका रिटायर्ड न्यायिक अधिकारी, बैंकिंग क्षेत्र का रिटायर्ड अधिकारी और एक कृषि विशेषज्ञ आयेाग के सदस्य होंगे।



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भाजपा के मुद्दे का जवाब



राजस्थान में पिछले चुनाव के समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी दस दिन में किसानो की कर्ज माफी का वादा कर गए थे। राजस्थान सरकार ने किसानों की कर्ज माफी तो की, लेकिन सिर्फ सहकारी बैंकों के कर्ज ही माफ हो पाए। व्यावसायिक बैंकों के कर्ज माफ नहीं किए गए। ऐसे में भाजपा इसे लगातार मुद्दा बनाए हुए है और सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा  रही है। यही कारण है कि इस आयोग के गठन को भाजपा के मुद्दे की काट के रूप में देखा जा रहा है। आयोग इस मायने में भी अहम है कि यह किसानों को साहूकारों से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभा सकता है। व्यावसायिक बैंकों के मामले में आयोग के पास ज्यादा शक्तिया नहीं है और उनके मामले में यह रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार ही काम कर सकेगा।


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