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Photograph: (The Sootr)
Be इंडियन-Buy इंडियन: भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री में भारतीय देसी ब्रांड एयरटेल की सफलता एक प्रेरणादायक कहानी है। इसकी शुरुआत एक छोटे से विचार से हुई थी और आज यह दुनिया के सबसे प्रमुख ब्रांड्स में से एक है। साइकिल के कलपुर्जों से शुरुआत करने वाले सुनील मित्तल ने कैसे एयरटेल को स्थापित किया और इसे भारतीय टेलीकॉम सेक्टर का लीडर बना दिया, यह एक संघर्ष और साहस की अद्भुत कहानी है। जियो जैसे बड़े प्रतिस्पर्धियों के बावजूद एयरटेल ने कैसे अपनी स्थिति मजबूत की, जानिए इस यात्रा की गहरी बातें, जो न केवल व्यवसाय बल्कि इनोवेशन और कस्टमर सर्विस का भी बेहतरीन उदाहरण है।
कैसे हुई एयरटेल की शुरुआत
1990 के दशक का भारत, साइकिल के कलपुर्जों से शुरू हुआ सुनील मित्तल का सफर एक नई क्रांति की शुरुआत थी। सुनील, पंजाब के लुधियाना में एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे और तकनीक की दुनिया में मौके तलाशते रहते थे। 1980 के दशक में विदेश यात्रा के दौरान उन्होंने भारत में पुश-बटन फोन लाने का अवसर पहचाना और पहली बार इम्पोर्ट किए। यह भारतीय दूरसंचार सेक्टर का शुरुआती बदलाव था।
1992 में जब भारत में मोबाइल लाइसेंस बांटे जा रहे थे, सुनील मित्तल ने हिम्मत दिखाई और “भारती टेलीकॉम लिमिटेड” का गठन किया, विदेशी साझेदार Vivendi के साथ मिलकर। 1995 में दिल्ली में “एयरटेल” के नाम से मोबाइल सेवाएं शुरू हुईं तो किसी को भरोसा न था कि ये स्वदेशी ब्रांड एक दिन देश-दुनिया का सबसे चर्चित नाम बन जाएगा।
एयरटेल की शुरुआती संघर्ष की कहानी
एयरटेल की राह आसान नहीं थी। टेक्निकल नॉलेज कम, पूंजी सीमित, और सरकारी नियम-कायदों की दीवारें, हर पड़ाव पर मुश्किलें थीं। तब मोबाइल फोन को भारत में अमीरों का खिलौना समझा जाता था। लाइसेंस मिलने के बाद भी नेटवर्क तैयार करना, ग्राहकों का विश्वास जीतना और विदेशी खिलाड़ियों से मुकाबला करना, ये बहुत कठिन था।
एयरटेल ने इन चुनौतियों का समाधान 'इनफ्रास्ट्रक्चर आउटसोर्सिंग' की नई रणनीति से किया: सेल टावर आदि बाहर की कंपनियों से लगवाए, जिससे लागत भी घटी और विस्तार भी तेज़ हुआ। देश भर के युवा धीरे-धीरे एयरटेल सिम लेकर गौरवान्वित होने लगे।
जिस समय टाटा जैसी बड़ी कंपनियां दिल्ली नेटवर्क के लिए चुनौती देने लगीं, तब एयरटेल को लाइसेंस मुंबई की जगह दिल्ली मिला - यह मित्तल के लिए सौभाग्य साबित हुआ। शुरुआती सालों में पोस्टपेड कंज्यूमर बेस था, बाद में प्रीपेड सर्विस 'मैजिक' के जरिए ग्राहकों का बड़ा वर्ग जुड़ा।
एयरटेल ब्रांड की सफलता की कहानी
एयरटेल ने भारतीय टेलीकॉम की शक्ल बदल दी। 'इनकमिंग कॉल फ्री', कॉलर रिंगबैक ट्यून, आसान रीचार्ज, ग्राहकों के लिए रिटेल टचपॉइंट - इन सब इनोवेशन ने बाजार का रुख एयरटेल की ओर मोड़ा।
जल्दी ही एयरटेल इंडिया की सबसे तेज़ ग्रोथ वाली मोबाइल कंपनी बनी। 2002 में आईपीओ, 2005 तक सभी 23 सर्किलों में नेटवर्क, 2010 में अफ्रीका में विस्तार और 2012 में भारत में 4G - ये सब भारतीय साहस, दूरदृष्टि और लगातार नवाचार के प्रतीक थे।
कई बार रिलायंस, वोडाफोन जैसी कंपनियां नई स्कीमें और डेटा वार लेकर आईं, लेकिन एयरटेल ने प्रीमियम सॉल्यूशन, आसान कस्टमर केयर, डिजिटल बैंकिंग (Airtel Payments Bank), फास्ट ब्रॉडबैंड (Airtel Xstream), क्लाउड और इंटरप्राइज सर्विसेज जैसी सेवाओं के बल पर हर चुनौती का डटकर मुकाबला किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरटेल एक वक्त दुनियाभर के 18 देशों में 500+ मिलियन कस्टमर्स को सेवा देता है। इसकी ब्रांड वैल्यू और मार्केट कैप लगातार नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुकी है।
आज बाजार में एयरटेल की स्थिति
2025 तक एयरटेल भारत की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन चुकी है और तीसरी सबसे मूल्यवान लिस्टेड कंपनी है। इसका मार्केट शेयर करीब 34% है और इसके पास लगभग 39 करोड़ सब्सक्राइबर हैं। एयरटेल ने महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और डिजिटल इंडिया मिशन में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है।
एयरटेल कंपनी के पास अब 135 मिलियन 5G यूजर्स हैं और देशभर में 44,000 किलोमीटर से ज्यादा का फाइबर नेटवर्क भी है। इसके अलावा, एयरटेल ने अफ्रीका में भी सफलतापूर्वक अपनी उपस्थिति बनाई है। हर साल इसके रेवेन्यू में 17-18% की बढ़ोतरी हो रही है और इसका रेवेन्यू मार्केट शेयर 40% के करीब है। स्मार्टफोन अपग्रेड, इंटरनेशनल रोमिंग, ब्रॉडबैंड, पेमेंट बैंकिंग और DTH जैसे सेगमेंट्स में भी एयरटेल शानदार प्रदर्शन कर रहा है।
ब्रांड एयरटेल का मार्केट में पॉजिशन
एयरटेल प्रीमियम ब्रांडिंग, तेज इंटरनेट और ग्राहक सेवा के लिए जाना जाता है। जियो के डेटा क्रांति के बावजूद एयरटेल ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई और आज भी सबसे ज्यादा पोस्टपेड क्लाइंट्स, हाई ARPU (Average Revenue per User) और कॉरपोरेट सेक्टर में बड़ी हिस्सेदारी रखता है।
डिजिटल ट्रांजैक्शन, क्लाउड सर्विस, मोस्ट यूज़्ड DTH प्लेटफॉर्म, म्यूजिक-वीडियो ऐप, और बिज़नेस सॉल्यूशंस—इन सबने एयरटेल को केवल टेलीकॉम नहीं, बल्कि डिजिटल लाइफस्टाइल ब्रांड के तौर पर स्थापित किया है।
एयरटेल ब्रांड का मूल मंत्र
सुनील मित्तल की सोच हमेशा साफ थी - "हर भारतीय को कनेक्टिविटी का अधिकार है।" एयरटेल ने हमेशा कस्टमर फर्स्ट की मानसिकता रखी और किफायती इनोवेशन, भरोसेमंद सर्विस और "हम है ना" जैसे कैंपेन के जरिए उपभोक्ताओं की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश की।
एयरटेल की सफलता की असली वजह है उसकी सरलता, इनोवेशन, भरोसा और एक्सेसिबिलिटी। कंपनी ने समय-समय पर अपने लोगो, कैंपेन थीम और टेक्नोलॉजी अपडेट्स को बेहतर किया, जो आज एयरटेल की असली पहचान बन गए हैं। यही वजह है कि एयरटेल ने भारतीय बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है।
इस कहानी से क्या सीखा जा सकता है
बड़े ब्रांड वही बन पाते हैं जो लगातार सीखते रहते हैं, जोखिम उठाने की हिम्मत रखते हैं और खुद को बदलते रहते हैं। ग्राहक का अनुभव सबसे जरूरी है, क्योंकि ग्राहक की आस्था ही किसी ब्रांड का सबसे बड़ा फायदा बनती है। जब बाजार में उतार-चढ़ाव होते हैं, टेक्नोलॉजी बदलती है और सरकारी नीतियां बदलती हैं, तो ऐसे वक्त में टिके रहने का असली मंत्र है लचीलापन और तेज निर्णय क्षमता। भारतीय उद्यमों में यही सपने, संघर्ष और नवाचार का मेल है, जो देश में बदलाव लेकर आता है।
FAQ
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