RAJASTHAN Top News : राजस्थान की बड़ी खबरें

नमस्कार, राजस्थान की बड़ी खबरों में आपका स्वागत है। जर्जर स्कूलों में पढ़ाई जारी। ट्रॉमा सेंटर में शॉर्ट सर्किट से लगी आग। विरोध-गुटबाजी में फंसी कांग्रेस में रायशुमारी। पैलेस ऑन व्हील्स में बुकिंग घटी। 34 साल पहले फर्जी दस्तावेज से नौकरी...

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Amit Baijnath Garg
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Rajasthan top news 09 oct

Photograph: (the sootr)

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कोर्ट के आदेश के बावजूद बच्चों की शिक्षा खतरे में, कहीं जर्जर स्कूल तो कहीं तबेले में हो रही पढ़ाई

राजस्थान के जयपुर से कुछ ही दूरी पर स्थित रामपुरा कंवरपुरा गांव के सरकारी स्कूल की हालत किसी भी सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद चिंताजनक है। इस स्कूल के भवन की स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि राजस्थान हाई कोर्ट ने इसके संचालन पर रोक लगा दी थी। हालांकि सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के बजाय बच्चों को एक गाय के तबेले में पढ़ने के लिए मजबूर कर दिया। बच्चों को टीन शेड या पेड़ की छांव में बैठकर अपनी पढ़ाई करनी पड़ रही है। यह बेहद ही शर्मनाक स्थिति है, जब एक सरकारी स्कूल के बच्चे इस तरह की परिस्थितियों में अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए मजबूर हों। हाई कोर्ट ने जर्जर स्कूलों में कक्षाएं चलाने पर सख्त रोक लगाई थी और राजस्थान सरकार को वैकल्पिक व्यवस्थाओं की तैयारी के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से नियमित रिपोर्ट भी मांगी थी, लेकिन सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में शॉर्ट सर्किट से लगी थी आग, FSL की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

राजस्थान के सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में लगी आग के बाद पूरे राज्य में हलचल मच गई है। सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई कर रही है, जबकि अस्पताल में फायर सेफ्टी की व्यवस्थाओं की समीक्षा भी शुरू हो गई है। इस बीच, एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री) ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू के पीछे स्थित स्टोर रूम के इलेक्ट्रिक स्विच में शॉर्ट सर्किट हुआ था, जिससे आग लगी। रिपोर्ट के अनुसार, आग की शुरुआत स्टोर रूम में लगी प्लास्टिक और सिंथेटिक मैटेरियल से हुई, जिससे आईसीयू में जहरीली गैसें फैल गईं। इनमें प्रमुख रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड शामिल थीं। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

विरोध और गुटबाजी में फंस कर रह गई कांग्रेस की रायशुमारी, पर्यवेक्षकों की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल

राजस्थान में कांग्रेस का संगठन सृजन ​अभियान कांग्रेस के हारे-थके और दरकिनार हो चुके नेताओं के लिए संजीवनी बूटी साबित हो रहा है। इन नेताओं को जिलाध्यक्षों की खोज के लिए रायशुमारी करने के लिए पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है, लेकिन ये लोग जिलों में गुटबाजी और विवाद में फंस रहे हैं। कुछ पर्यवेक्षक मंच सजाकर भाषण देकर बरसों से सूखे अपने गलों को तर कर रहे हैं। इन पर आरोप है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ समाज के अलग-अलग वर्गों से रायशुमारी करने आए ये पर्यवेक्षक पार्टी गाइडलाइन से परे काम कर रहे हैं। स्थिति यह है कि यह जिलाध्यक्ष पद के दावेदारों को मंच पर अपने बगल में बैठाकर विरोध का कारण बन रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता पर्यवेक्षकों की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि एक वरिष्ठ नेता ने सफाई दी कि पर्यवेक्षक हर विधानसभा क्षेत्र में अलग-अलग लोगों से मिलकर उनकी राय ले रहे हैं। इस दौरान उनके साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के जिला प्रभारी भी साथ बैठते हैं। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

विरोध का ऐसा भी तरीका : सिर मुंडवा कर अपने बाल अशोक गहलोत को भेजते थे पूर्व मंत्री भरत सिंह

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 40 साल से ज्यादा समय से राजस्थान की राजनीति में सिरमौर बने हुए हैं। इस दौरान अनेक उतार-चढ़ाव, समर्थन तथा विरोध के बावजूद वह राजस्थान के तीन बार सीएम रह चुके हैं। कांग्रेस पार्टी में उनके विरोधियों की कमी भी नहीं रही। इनमें से ही एक पूर्व मंत्री कांग्रेसभरत सिंह कुंदनपुर भी माने जाते थे। पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ईमानदारी और स्पष्टवादिता के लिए तो मशहूर थे, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार उनकी पहचान गहलोत के विरोधी के रूप में रही। कोटा के वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र राहुल ने भरत सिंह के निधन के बाद सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा है कि गहलोत के प्रति नाराजगी जताने के लिए भरत सिंह हर महीने अपना सिर मुंडवा कर बाल एक लिफाफे में रखकर गहलोत को भेजते थे। धीरेंद्र राहुल ने सोशल मीडिया पर यह रहस्य पूर्व मंत्री भरत सिंह के बाल काटने वाले ​बल्लू बार्बर के हवाले से खोला है। बल्लू 30 साल से भरत सिंह के घर जाकर उनकी हजामत बनाता था। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

शाही ट्रेन पैलेस ऑन व्हील्स से सैलानियों ने बनाई दूरी, प्राइवेट कंपनी को देना पड़ रहा भारी, घट रही बुकिंग

राजस्थान में पर्यटन की आन-बान-शान बनी शाही रेल पैलेस ऑन व्हील्स बेपटरी होने लगी है। राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) ने जब से इस शाही रेल का संचालन और प्रबंधन प्राइवेट कंपनी को दिया है, तब से शाही रेल के प्रति देसी-विदेशी सैलानियों का लगाव घटता जा रहा है। दो साल के पर्यटन सीजन में शाही रेल की बुकिंग में काफी कमी आई है। सूत्रों के अनुसार, करीब 50 फीसदी टूरिस्ट बुकिंग कम हो गई है। इससे आरटीडीसी को आर्थिक नुकसान तो झेलना पड़ रहा है, वहीं देश-विदेश में पैलेस ऑन व्हील्स की शाही साख पर भी प्रभाव पड़ रहा है। पैलेस ऑन व्हील्स की बजाय सैलानी दूसरे राज्यों की शाही रेल में सफर कर रहे हैं। टूरिस्टों में कमी को लेकर प्राइवेट कंपनी के साथ आरटीडीसी प्रबंधन की लापरवाही भी सामने आ रही है। बताया जाता है कि जब से प्राइवेट कंपनी को ठेके पर दिया है, तब से देश-विदेश में शाही रेल के प्रमोशन कार्यक्रम बाधित हुए हैं। मार्केटिंग पर भी प्रभाव पड़ा। ट्रेवल कंपनियों को विश्वास में नहीं लेने के कारण बुकिंग प्रभावित हुई। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए जारी किए 3200 मेगावाट बिजली खरीद के टेंडर, अनुमति मिलने का इंतजार भी नहीं

राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने 3200 मेगावाट के बिजली खरीद अनुबंध (प्लांट) के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं, जबकि राज्य विद्युत विनियामक आयोग (RERC) की मंजूरी अभी बाकी थी। यह कदम विवादों में घिर गया है, क्योंकि आयोग ने इस अनुबंध पर निर्णय लेने के लिए समय लिया था और अब तक फैसला सुरक्षित रखा गया है। इस मामले में आयोग से मौखिक रूप से टेंडर जारी करने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन इसके बावजूद निगम ने टेंडर जारी कर दिए। इससे यह सवाल उठता है कि आखिर निगम ने इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई और किसे लाभ पहुंचाने की कोशिश हो सकती है? राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) की रिसोर्स एडिक्वेसी रिपोर्ट के आधार पर 3200 मेगावाट क्षमता के लिए निविदा जारी की। रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2031-32 तक राज्य की बिजली जरूरत 20,532 मेगावाट होगी। डिस्कॉम्स ने राज्य में 6,897 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की आवश्यकता जताई थी, जिसमें से 3,756 मेगावाट पहले ही विभिन्न स्रोतों से सुनिश्चित किया जा चुका था। इस शेष 3,141 मेगावाट की आपूर्ति के लिए यह निविदा जारी की गई। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

जैसलमेर में हिरण के बच्चे को परिवार के सदस्य की तरह पाला, 8 महीने बाद जंगल में छोड़ने पर हुए भावुक

राजस्थान के जैसलमेर जिले के एक छोटे से सरहदी गांव करड़ा में एक अद्भुत और दिल छूने वाली घटना घटी। यहां एक परिवार ने एक हिरण के बच्चे को अपने घर में पाला और उसे 8 महीने तक अपने परिवार का सदस्य माना। इस परिवार ने न सिर्फ हिरण के बच्चे को संरक्षण दिया, बल्कि उसे प्यार और देखभाल से बड़ा भी किया। अब समय आया है कि इस हिरण के बच्चे को उसके असली घर यानी जंगल में वापस छोड़ा जाए। यह कहानी तब शुरू हुई, जब महेंद्र सिंह सोढ़ा के छोटे भाई कुंदन सिंह ने 8 महीने पहले जंगल में एक बिन मां का हिरण का बच्चा पाया। कुंदन ने उस छोटे से हिरण को 15 दिन की उम्र में घर लाकर उसे अपने परिवार का हिस्सा बना लिया। इस हिरण के बच्चे का नाम शेरू रखा गया और वह परिवार के बाकी सदस्यों के साथ घुल-मिल गया। शेरू को गाय का दूध पिलाकर उसे बड़ा किया गया। जैसे ही उसे शेरू नाम से बुलाया जाता, वह दौड़कर पास आ जाता। शेरू को कुंदन और महेंद्र की मां से मां जैसा प्यार मिला। वह घर में एक सामान्य सदस्य की तरह व्यवहार करने लगा। शेरू को गाय का दूध पिलाकर बड़ा किया गया और इस दौरान वह परिवार के हर सदस्य के साथ घुल-मिल कर रहता था। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

राज्यपाल से सजा माफी मिली तो क्या कंवरलाल मीणा को वापस मिल जाएगा विधायक पद

राजस्थान में आपराधिक मामले में सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की सजामाफी को लेकर नई बहस छिड़ी हुई है। बहस इस सवाल पर है कि क्या राजभवन से सजामाफी के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो जाएगी। क्या सजामाफी से अंता विधानसभा उपचुनाव की प्रक्रिया प्रभावित होगी। फिलहाल, अंता में विधानसभा उप-चुनाव की घोषणा हो चुकी है। यह सीट कंवरलाल मीणा को आपराधिक केस में तीन साल की सजा होने से रिक्त हुई है। कंवरलाल मीणा ने अपनी सजा माफी के लिए राज्यपाल को याचिका दी है। इस याचिका पर राजभवन ने इस पर सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। कंवरलाल पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के नजदीकी माने जाते हैं। माना जा रहा है कि सरकार के पॉजिटिव रुख के कारण राजभवन से कंवरलाल के पक्ष में सकारात्मक फैसला हो सकता है। कंवरलाल मीणा अपनी विधायकी वापस पाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, सवाल यह है कि क्या सीट रिक्त घोषित होने और चुनावी कार्यक्रम घोषित होने तथा अधिसूचना जारी होने के बाद सजा माफ हुई तो क्या होगा? क्या कंवरलाल की विधायकी बहाल होगी या नहीं? अगर विधायकी बहाल नहीं हुई तो क्या वह छह साल से पहले चुनाव लड़ सकेंगे या नहीं? खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

हरियाणा के ADGP सुसाइड मामले का राजस्थान कनेक्शन!, IAS पत्नी ने लगाए DGP और SP पर आरोप

हरियाणा के एडीजीपी (ADGP) IPS वाई पूरन कुमार (Y. Puran Kumar) की आत्महत्या के मामले में अब नया और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। उनकी पत्नी और हरियाणा कैडर की IAS अमनीत पी. कुमार ने राज्य के डीजीपी IPS शत्रुजीत सिंह कपूर और राजस्थान के मूल निवासी रोहतक एसपी IPS नरेंद्र बिजारणिया के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए चंडीगढ़ के सेक्टर 11 थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। अमनीत कुमार का दावा है कि उनके पति को जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और झूठे मामलों में फंसाने की साजिश के चलते आत्महत्या करनी पड़ी। इस मामले ने हरियाणा पुलिस और प्रशासन में गंभीर हलचल पैदा कर दी है। अमनीत कुमार ने शिकायत में अपने पति के आठ पन्नों के सुसाइड नोट का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि नोट में लिखा था कि डीजीपी और रोहतक एसपी ने जानबूझकर उनके पति को परेशान किया (हरियाणा ADGP आत्महत्या)। IAS अमनीत के अनुसार, सीएम नायब सिंह सैनी के साथ जापान दौरे से लौटने के बाद उन्हें उनके पति के लैपटॉप बैग में सुसाइड नोट की दूसरी कॉपी मिली। इसमें यह भी उल्लेख था कि उनके पति को जातिसूचक गालियां दी गईं और अपमानित किया गया। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

राजस्थान में एमबीएम यूनिवर्सिटी का बड़ा कारनामा, छात्रों के 100 में से आ गए 133 नम्बर

राजस्थान के जोधपुर की एमबीएम यूनिवर्सिटी से एक अजीब मामला सामने आया है, जिसमें बीई द्वितीय सेमेस्टर के छात्रों को दिए गए अंक उनके कुल अंकों से कहीं अधिक पाए गए। यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए रिजल्ट में, छात्रों को प्रैक्टिकल और सेशनल विषय के पेपरों में 100 अंकों के विषयों के लिए 101 से लेकर 133 तक अंक दिए गए। इस मामले ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया, और छात्रों के बीच हड़कंप मच गया। एमबीएम यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी किए गए बीई द्वितीय सेमेस्टर के रिजल्ट में, छात्रों को ऐसे अंक दिए गए थे जो अधिकतम अंक से कहीं अधिक थे। यह अंक प्रैक्टिकल और सेशनल विषयों के 100 अंकों के पेपरों के लिए थे। उदाहरण के लिए, छात्रों को इन विषयों में 105 से लेकर 137 तक अंक मिले, जो कि सामान्यत: 100 अंक से अधिक होते हैं। यह गड़बड़ी छात्रों को बहुत चौंका देने वाली थी, क्योंकि उनके अनुसार यह अंक वास्तविक अंक तालिका से मेल नहीं खा रहे थे। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

भाजपा सरकार पर बरसे अशोक गहलोत, जानें जल जीवन मिशन को लेकर लगाए क्या आरोप

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने जलजीवन मिशन को लेकर भ्रष्टाचार का दावा किया और सरकार की नाकामी को सार्वजनिक रूप से उजागर किया। गहलोत का कहना है कि भाजपा सरकार ने इस योजना के तहत जितने कनेक्शनों का वादा किया था, उतने कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराए गए। इसके साथ ही उन्होंने आंकड़े पेश कर यह भी दिखाया कि कांग्रेस सरकार के दौरान जलजीवन मिशन में अधिक कनेक्शन दिए गए थे। गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के माध्यम से भाजपा सरकार की नाकामी को उजागर किया। उन्होंने लिखा कि राजस्थान में भाजपा सरकार के तहत जल जीवन मिशन पूरी तरह से विफल हो चुका है। 2024-25 के बजट में भाजपा ने 25 लाख जल कनेक्शन देने का वादा किया था, लेकिन अब तक केवल 9 लाख 44 हजार कनेक्शन ही दिए जा सके हैं। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

राजस्थान में धर्मांतरण अब अपराध, राज्यपाल ने दी विधेयक को मंजूरी, जानें क्या है कानून

राजस्थान सरकार ने अवैध धर्म परिवर्तन को लेकर एक नया और अत्यधिक महत्वपूर्ण कानून लागू किया है, जिसे राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025 कहा जा रहा है। यह बिल राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मंजूरी प्राप्त करने के बाद अब कानूनी रूप से लागू हो चुका है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को रोकना और उसे अपराध मानना है। राजस्थान में अब जबरन धर्म परिवर्तन को एक अपराध के रूप में माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति छल-कपट या धोखाधड़ी के माध्यम से धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इसके लिए 7 से 14 वर्ष तक की सजा का प्रावधान होगा और साथ ही 5 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह कानून न केवल धर्म परिवर्तन के अपराधी को सजा देगा, बल्कि इसके साथ ही उन संस्थाओं पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी जो धर्म परिवर्तन के लिए यह गतिविधियां चला रही हैं। ऐसी संस्थाओं पर 50 लाख रुपये तक का जुर्माना और दोषियों को उम्रभर की सजा दी जा सकती है। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

राजस्थान में अब अभ्यर्थियों को मिलेगी परीक्षा केन्द्र की लोकेशन, कर्मचारी चयन बोर्ड की पहल

राजस्थान में आगामी भर्ती परीक्षाओं में अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में जो परेशानियां होती थीं, उन्हें हल करने के लिए राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) ने एक नई पहल शुरू की है। अब परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र के आवंटन के साथ ही उस केंद्र की लोकेशन लिंक भी दी जाएगी। इससे उम्मीदवार यह जान सकेंगे कि उनका केंद्र किस इलाके में है और वहां तक पहुंचने में कितनी दूरी तय करनी होगी। यह कदम अभ्यर्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत का कारण बनेगा। इसके अलावा परीक्षा के समय में भी बदलाव किया गया है। अब सुबह 9 बजे के बजाय 11 बजे परीक्षा आयोजित की जाएगी। परीक्षा केंद्र ढूंढ़ने में होने वाली समस्याओं का सामना करने के बाद, अब उम्मीदवारों को केंद्र की लोकेशन लिंक मिल जाएगी। इससे उन्हें आसानी से यह जानकारी मिल सकेगी कि उनका परीक्षा केंद्र कहां स्थित है। अब तक परीक्षार्थियों को केंद्रों की सूची तो मिलती थी, लेकिन लोकेशन की जानकारी नहीं थी। इसके कारण अक्सर परीक्षार्थियों को केंद्र ढूंढ़ने में दिक्कत आती थी और कई बार भ्रमित होकर वे गलत केंद्र पर पहुंच जाते थे, जिससे उनका पेपर छूट जाता था। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

34 साल पहले फर्जी दस्तावेज से पाई नौकरी, अधिकारियों की मिलीभगत से बाल भी बांका नहीं

राजस्थान में फर्जी दस्तावेज से नौकरी पाने का मामला नया नहीं है, बल्कि यह दशकों से चल रहा एक पुराना मुद्दा है। हाल ही में प्रतापगढ़ जिले के धरिसावद उपखंड में एक सरकारी अध्यापक राजमल लबाना का नाम सामने आया है, जिन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी हासिल की। 34 साल पहले नौकरी ज्वॉइन करने वाले लबाना ने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मांडवी में शिक्षक की नौकरी की। आरोप है कि लबाना ने नौकरी पाने के लिए एससी (नायक जाति) का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया। जबकि, राजमल और उसका परिवार लबाना समाज में आता है, जो एसबीसी वर्ग के तहत आता है, लेकिन राजमल ने अपनी जाति को एससी में बदलकर यह नौकरी प्राप्त की। राजमल लबाना ने 1991 में एससी (नायक) का फर्जी जाति प्रमाण पत्र तैयार किया और उसे उपयोग में लाकर सरकारी स्कूल में शिक्षक की नौकरी प्राप्त की। इसके बाद इस फर्जीवाड़े की कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई। खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...

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