BHOPAL. कर्नाटक का चुनावी समर और इस समर में अपनी ताकत झोंकते पीएम मोदी। पीएम मोदी ने एक चुनावी सभा में नारे लगवाए बजरंग बली की जय...कारण था कांग्रेस का वो घोषणा पत्र जिसमें उसने कहा कि अगर कर्नाटक में सरकार बनती है तो बजरंग दल को बैन कर देगी। बस इसी बात को बीजेपी ने मुद्दा बना लिया और बजरंग बली चुनावी मैदान में नारे के रुप में गुंजायमान हो गए। क्या है ये बजरंग दल जिसने कर्नाटक की राजनीति में उबाल ला दिया है, कब हुआ इस संगठन का गठन और अब तक कैसी रही इसकी कार्यशैली इन सब बातों से आपको रूबरू करवाएंगे हम इस रिपोर्ट में...
युवाओं को जोड़ने के लिए बनाया संगठन
देश में राम मंदिर आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा था। आरएसएस को एक ऐसे संगठन की जरूरत थी जो राम के मुद्दे पर युवाओं को आंदोलित कर सके, एक ऐसा संगठन जो सड़क पर उतर सके। इधर विश्व हिन्दू परिषद हिन्दू युवाओं को मोबिलाइज कर रही थी। इसी माहौल में एक नेता हिन्दुओं की आवाज को बढ़ चढ़ कर उठा रहा था। इस नेता का नाम था विनय कटियार। विनय कटियार तब के तेजतर्रार फायर ब्रांड नेता थे और राम मंदिर के मुद्दे को लेकर उग्र रहते थे। इसी तरह साल 1984 में एक संगठन बना जिसका नाम रखा गया बजरंग दल
कर्नाटक में मुद्दों पर भारी बजरंग दल
39 साल पहले बना संगठन एकाएक चर्चा में आ गया। इसका कारण है 2 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस द्वारा जारी किया गया घोषणा पत्र। वैसे तो घोषणा पत्र लोक लुभावन और लब्बोलुआब से भरपूर होते हैं, लेकिन कर्नाटक के लिए कांग्रेस के जारी किए गए घोषणा पत्र में एक बिंदु ऐसा था जिसने देश की राजनीति में उबाल ला दिया। इस बिंदु में लिखा था कि पार्टी सत्ता में आई तो समाज में नफरत फैलाने वाले बजरंग दल और पीएफआई जैसे संगठनों को बैन कर देगी। बस इसी घोषणा के बाद से राजनीतिक पारा चढ़ गया। बीजेपी समेत कई हिन्दूवादी संगठन और बजरंग दल ने भी इस वादे के लिए कांग्रेस की आलोचना की। बजरंग दल ने कहा कि वो एक राष्ट्रवादी संगठन है और इसकी तुलना पीएफआई जैसे प्रतिबंधित संगठन से करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। बजरंग दल ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि बजरंग दल की देश और धर्म के प्रति निष्ठा की वजह से कांग्रेस और पीएफआई के आंखों की किरकिरी बना हुआ है। बजरंग दल इस मुद्दे को कर्नाटक समेत पूरे देश में जोर-शोर से उठा रही है और प्रदर्शन कर रही है।
पीएम मोदी ने मंच से किया जिक्र
मंगलवार (2 मई) को जब पीएम मोदी चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक के विजयनगर के होस्पेट पहुंचे तो उन्होंने वहां से इस मुद्दे को जमकर उठाया। विजयनगर से सटे आंजनेद्री पर्वत का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं हनुमान जी की पवित्र भूमि पर आया हूं तो मेरा ये बहुत बड़ा सौभाग्य है लेकिन दुर्भाग्य देखिए जब मैं हनुमानजी की पवित्र भूमि को प्रणाम करने को आया हूं तो उसी समय कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग बली को ताले में बंद करने का निर्णय किया है। पीएम मोदी ने कहा कि इन्होंने पहले भगवान श्रीराम को ताले में बंद किया और अब जय बजरंग बली बोलने वालों को ताले में बंद करने का संकल्प लिया है। ये देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस को प्रभु श्री राम से तकलीफ होती थी और अब जय बजरंग बली बोलने वालों से तकलीफ हो रही है।
हिंदी पट्टी राज्यों का प्रभावशाली संगठन
अब बताते हैं आपको कि आखिर बजरंग दल का विस्तार कहां तक है। बजरंग दल भारत की हिंदी पट्टी में हिन्दुओं का एक दमदार और प्रभावशाली संगठन तो है ही, इस संगठन ने कर्नाटक की राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि में भी अपनी जोरदार मौजूदगी दर्ज कराई है। इसके अलावा बजरंग दल ने पूर्वोत्तर और तमिलनाडु में भी अपनी पहुंच बनाई है।
श्रीराम जानकी रथ यात्रा को सुरक्षा देने के लिए बना संगठन
आज से 39 साल पहले अस्तित्व में आया बजरंग दल आज राजनीति का ध्रुव तारा बना हुआ है। विश्व हिन्दू परिषद की वेबसाइट के मुताबिक अक्टूबर 1984 में वीएचपी की तरफ से श्रीराम जानकी रथ यात्रा निकाली गई थी। जब अयोध्या से ये यात्रा शुरु हुई तो यूपी की तत्कालीन सरकार ने यात्रा को सुरक्षा देने से मना कर दिया। तब यात्रा में मौजूद संतों ने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस रथ यात्रा की जिम्मेदारी संभालें। संतों ने कहा कि जिस तरह से श्रीराम के कार्य के लिए हनुमान सदा उपस्थित रहते थे उसी तरह आज के युग में श्रीराम के कार्य के लिए बजरंगियों की टोली मौजूद रहे। इसी संकल्प के साथ 8 अक्टूबर 1984 को बजरंग दल की स्थापना हुई। विनय कटियार को बजरंग दल का संस्थापक माना जाता है।
प्रेमी जोड़ों को पीटने से बनी पहचान!
1984 में बजरंग दल की स्थापना के बाद विनय कटियार को इसके प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी गई। बाद में राम मंदिर आंदोलन में जुड़े लोगों की रक्षा करना इस संगठन का अहम काम हो गया। बजरंग दल का दावा है कि इस संगठन का जन्म किसी के विरोध में नहीं बल्कि हिन्दुओं को चुनौती देने वाले कथित असामाजिक तत्वों से रक्षा के लिए हुआ है। बजरंग दल प्रखर हिन्दूवादी संगठन है। इसका उद्देश्य हिन्दुत्व को हर घर पहुंचाना है। मुख्य रूप से कहें तो बजरंग दल गौ, गीता, गंगा और गायत्री की रक्षा के लिए काम करता है। इस संगठन का सूत्रवाक्य सेवा, संस्कृति और सुरक्षा है. बजरंग दल कई बार वैलेंटाइन के दौरान लड़के-लड़कियों की दोस्ती का विरोधकर चर्चा में आता रहता है।
बजरंग दल और इससे जुड़े विवाद
बजरंग दल स्थापना के बाद से आज तक इस संगठन पर एक ही बार राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगा है और ये प्रतिबंध 1992 में नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान लगा है। ये बात साल 1992 की है, अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोड़ने के बाद बजरंग दल पर इसमें शामिल होने का आरोप लगा था। लेकिन इसके एक साल बाद जब बजरंग दल पर एक भी आरोप साबित नहीं हुआ तो ये प्रतिबंध 1993 में हटा लिया था। बजरंग दल पिछले कुछ वर्षों में युवाओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ है। बजरंग दल का दावा है कि इस दल के वर्तमान में लगभग 27 लाख सदस्य हैं। बजरंग दल अपने अखाड़े भी चलाता है, बजरंग दल की माने तो देश भर में इसके लगभग 2,500 से ज्यादा अखाड़े चल रहे हैं। कर्नाटक में बजरंग दल की सक्रियता की बड़ी वजह है, धर्म परिवर्तन, लव जेहाद और स्कूल और कॉलेजों में हिजाब का विवाद। बजरंग दल इन तीनों के ही खिलाफ है, पिछले साल जब कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की मांग को लेकर आन्दोलन हुआ था तो इस दौरान बजरंग दल ने इसका खुलकर विरोध किया था। इस दौरान कुछ कट्टरपंथियों ने बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की दिनदहाड़े चाकू मारकर हत्या कर दी थी। इसके अलावा और भी ऐसी कई घटनाएं है जिनमें बजरंग दल की भूमिका है या नहीं इसे लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता।
- 1 अप्रैल 2022 को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में कथित रूप से एक मुस्लिम मीट व्यापारी पर हमला करने के आरोप में बजरंग दल के 5 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।