तमिलनाडु सरकार ने अपने हालिया बजट डॉक्यूमेंट में ₹ का सिंबल (₹ Symbol) बदलकर "ரூ" (Roo) सिंबल का उपयोग किया है, जो तमिल भाषा का प्रतीक है। यह कदम राज्य सरकार के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में उठाया गया है। स्टालिन सरकार का यह कदम राज्य के भाषाई स्वायत्तता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है, लेकिन इसने एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है।
फैसले पर भाजपा का विरोध
भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने इस बदलाव को मूर्खतापूर्ण (stupid) बताते हुए तीखा विरोध किया। उनका कहना था कि "₹ का सिंबल" पहले तमिलनाडु के थिरु उदय कुमार द्वारा डिजाइन किया गया था और यह अब भारत का राष्ट्रीय प्रतीक बन चुका है। अन्नामलाई ने ट्वीट किया, "DMK नेता के बेटे द्वारा डिजाइन किए गए ₹ सिंबल को राज्य सरकार ने जानबूझकर बदलकर इसे तमिल लिपि में बदल दिया है, जो भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता का उल्लंघन है।"
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₹ का सिंबल का इतिहास
2010 में IIT मुंबई के उदय कुमार ने ₹ का प्रतीक डिजाइन किया था, जिसे भारतीय सरकार ने 15 जुलाई 2010 को स्वीकार किया। यह प्रतीक देवनागरी 'र' और लैटिन 'R' को मिलाकर बना था, जिसमें एक वर्टिकल लाइन थी, जो भारतीय ध्वज और समानता के प्रतीक के रूप में कार्य करती थी। उदय कुमार को इस डिजाइन के लिए 2.5 लाख रुपए का पुरस्कार भी दिया गया था।
नई शिक्षा नीति (NEP) और भाषाई विवाद
तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच नई शिक्षा नीति (NEP) और ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर विवाद जारी है। केंद्र सरकार की नीति के तहत हिंदी, अंग्रेजी, और स्थानीय भाषा को अनिवार्य करने का प्रस्ताव है, लेकिन तमिलनाडु इसे स्वतंत्रता का उल्लंघन मानता है।
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NEP पर विवाद
नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत, केंद्र सरकार ने तीन भाषाओं को पढ़ाने की सलाह दी है, जिसमें हिंदी को अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा गया है। तमिलनाडु सरकार का कहना है कि हिंदी (Hindi) को थोपना राज्य की सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ है। मुख्यमंत्री एमक. स्टालिन ने इस मुद्दे पर कड़े शब्दों में कहा कि, अगर केंद्र ने हिंदी को हम पर थोपने की कोशिश की, तो हम फिर से एक और भाषाई युद्ध के लिए तैयार हैं।
बजट और राज्य सरकार की भाषा नीति
तमिलनाडु सरकार ने हमेशा तमिल भाषा (Tamil Language) को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस बार भी राज्य ने "रू" सिंबल का इस्तेमाल कर भाषाई अधिकारों की रक्षा करने का संदेश दिया है। इस निर्णय को लेकर राज्य सरकार का कहना है कि यह "राष्ट्रीय एकता और गौरव" का प्रतीक है, जबकि विपक्ष इसे "राजनीतिक विवाद" का कारण मानता है।