NEW DELHI: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS ) से निकली भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) और उसके नेताओं का दिमाग और तेवर कुछ अलग ही तरीके से काम करता है। पिछले दस साल में हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में पार्टी नेताओं ने शानदार अभियानों (brilliant campaigns ) और आकर्षक नारों (catchy slogans ) के बल पर भी चुनाव का रुख मोड़ दिया है। इसमें प्रमुख भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) की भी रही है। उन्होंने विपक्षी नेताओं के आरोपों और बयानों में इतना जबर्दस्त और लुभाने वाला बदलाव किया है कि विपक्ष के आरोप उसके लिए उलटे पड़ गए। आज हम आपको बताते हैं कि ऐसे कौन से आरोप हैं, जिनको बदलकर मोदी ने चुनाव का रुख मोड़ने में खासी मेहनत की है।
ताजा मसला ‘मैं हूं मोदी का परिवार’
इस मसले के बाद हम आपको ब्यौरेवार ऐसे आरोपों और उनके अभियानों में बदलने की रोचक दास्तान सुनाएंगे। ताजा मसला ‘मैं हूं मोदी का परिवार’ के चुनाव अभियान में बदलने का है। पिछले माह पटना में विपक्ष के इंडिया गठबंधन की रैली में विपक्ष के मजबूत नेता लालू यादव ने कहा था कि पीएम मोदी हमारे परिवार को इसलिए निशाना बनाते हैं, क्योंकि उनका कोई परिवार ही नहीं है। उन्होंने मोदी के हिंदू होने पर भी सवाल खड़े किए थे। अगले ही दिन तेलंगाना की एक चुनावी रैली में पीएम मोदी ने इस आरोप को लपका और पलटवार किया कि मेरा भारत और उसकी जनता ही मेरा परिवार है। उसके लिए मैं विपक्ष से जूझ रहा हूं। रैली में उन्होंने जनता से नारे लगवाए कि ‘मैं हूं मोदी का परिवार।’ इसके बाद बीजेपी के आला नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ‘मैं हूं मोदी का परिवार’ नारे को जोड़ लिया और इस ‘परिवार’ ने पूरे देश में प्रसिद्धि पा ली।
चाय वाला आरोप कैसे अभियान में बदला
अब आपको वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में लिए चलते हैं। इस चुनाव के लिए बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया था। उस वक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को ‘चायवाला’ बोलकर मजाक उड़ाया और कहा कि जब वह चुनाव हार जाएं तो हमारे पास आएं। हम अपने पार्टी दफ्तर के बाहर उन्हें कैंटीन का ठेका दे देंगे। बस फिर क्या था मोदी के चुनाव अभियान की टीम ने ‘चायवाला’ शब्द उठाया और उसका इतना प्रचार किया कि पूरा देश ही चायवाले को पीएम बनाने के लिए तेयार हो गया। इस शब्द का असर कांग्रेस पर बेहद बुरा रहा और वह अपने इतिहास में सबसे कम 44 लोकसभा सीटों पर सिमटकर रह गई।
‘हर हर मोदी-घर घर मोदी’ ने भी गुदगुदाया
वर्ष 2014 के चुनाव में विपक्ष खासकर कांग्रेस केा धराशायी करने के लिए बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को ध्यान में रखते हुए कई नारे गढ़े, जिन्होंने खूब चर्चा पाई। मोदी ने पहला चुनाव उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी से लड़ा जो भगवान शिव की नगरी है। यह से नारा उठा और छा गया कि ‘हर हर मोदी-घर घर मोदी,’ कांग्रेस ने इस नारे की कड़ी आलोचना की। लेकिन इसने असर कर दिया। इसी तरह उस चुनाव में एक नारे ने भी खूब नाम कमाया, ‘अबकी बार-मोदी सरकार’ भी लोगों के दिल को छूने लगा। इस नारे को लेकर बीजेपी ने पूरे देश में अभियान चलाया। इसके अलावा पार्टी ने एक नारे ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’ का भी खूब प्रचार-प्रसार किया, जिसने लोगों को सोचने पर मजबूर किया। इन नारों ने ही देश की पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बना दी।
'56 इंच के सीने’ ने बीजेपी को ‘फुला’ दिया
पीएम मोदी के नेतृत्व में इस पहले लोकसभा चुनाव (वर्ष 2014) में उनका नारा ’56 इंच का सीना’भी खासा चर्चा में रहा। इसको लेकर तंज भी कसे गए और मीम्स (कार्टून का एक रूप) भी खूब चले, लेकिन इस नारे ने भी बीजेपी को ‘फुलाने’ में मदद की। असल में उस वक्त चुनाव प्रचार के दौरान वाराणसी में आयोजित समाजवाटी पार्टी की एक रैली में उसके मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मोदी पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि वह अत्याचारी हैं और उनके हाथ खून से सने हैं। उनका यह भी कहना था कि मोदी हमारे उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाना चाहते हैं, क्योंकि वह यहां भी कत्लेआम करना चाहते हैं। मुलायम सिंह के इस आरोप पर गोरखपुर में एक रैली में मोदी ने हुंकार भरी कि नेताजी, क्या आप यूपी को गुजरात बनाने का मतलब जानते हैं। उन्होंने गुजरात के विकास मॉडल को रैली में रखा और कहा कि आप लोग यूपी को गुजरात नहीं बना सकते, क्योंकि इसके लिए 56 इंच का सीना लगता है। विवाद होने के बावजूद यह नारा भी चुनाव में खूब चला था।
‘चौकीदार चोर है’ कैसे ‘मैं हूं चौकीदार’ में बदल गया
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी अपने चुनाव अभियान में लोगों को बता रहे थे कि वह शासक नहीं बल्कि चौकीदार बनकर देश की सेवा करेंगे। उसी दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फ्रांसीसी लड़ाकू विमान की खरीद में मोटे घोटाले का आरोप लगाते ‘चौकीदार चोर है’ नारे को उछाला, जिसने बेहद चर्चा पाई। लेकिन बीजेपी की मजबूत चुनाव अभियान समिति ने इस आरोप को बेहद सशक्त नारे में बदल दिया और ‘मैं हूं चौकीदार’ नामक जबर्दस्त अभियान चलाया। बीजेपी ने वोटरों तक यह बात पहुंचाई कि जो कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता की मलाई खाती रही और भ्रष्टाचार करती रही, वह देश के एक गरीब चौकीदार को चोर बता रही है। इस नारे ने भी लोगों के दिल को छुआ, जिसका परियणाम यह रहा कि इस चुनाव में भी कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा।
‘मोदी है तो मुमकिन है’ने भी वोटरों को लुभाया
यह नारा भी वर्ष 2019 का है, लेकिन लोकसभा चुनाव से तीन माह पूर्व का है। असल में राजस्थान स्थित टोंक में विजय संकल्प रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जम्मू कश्मीर स्थित पुलवामा में आतंकी हमले और भारत के पलटवार के अलावा किसानों की सम्मान निधि योजना के अलावा अपनी सरकारी की जनहितैषी योजनाओं की जानकारी दी और नारा दिया कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’ यह नारा उसी रैली से उभरकर जनमानस तक पहुंच गया। आपको बता दें कि उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस नारे का जबर्दस्त इस्तेमाल किया और चुनाव का रुख एक बार से अपनी ओर मोड़ लिया।
‘मोदी की गारंटी’ से लेकर अब ‘अबकी बार 400 पार’
यह दोनों नारे बीजेपी और पीएम ने लगातार ईजाद किए हैं। असल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में मोदी ने मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में किसी भी नेता को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं किया था। इन चुनावों में पीएम मोदी ही सबसे आगे थे, इसलिए लोगों का भरोसा जगाने के लिए नारा उछाला गया ‘मोदी की गारंटी।’ यानी तुम हमें जिताओ और हर वादे को पूरा ‘मोदी की गारंटी’ की गारंटी पूरा करेगी। नतीजा, तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार बन गई। दूसरी ओर पिछले साल विपक्ष ने इंडिया एलांयस बनाया और मोदी सरकार को घेरने के लिए पूरे देश में अभियान चलाया, इसका तोड़ भी मोदी ने निकाला और नारा उछाल दिया कि ‘अबकी बार 400 पार।’ इसके लिए इस लोकसभा चुनाव में पूरी रणनीति बना ली गई है। छोटे दलों तक को बीजेपी से जोड़ा जा रहा है, इसके अलावा दूसरे दलो के नामी नेताओं को भी पार्टी में शामिल किया जा रहा है।
इन समाचारों को भी पढ़ें:-
तिहाड़ में सीएम केजरीवाल का शुगर लेवल गिरा
नड्डा बोले: INDI एलायंस भ्रटाचारियों का जमावड़ा